मुंबई, 04 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार ने देश के सभी प्राथमिक स्कूलों में संगीत और शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों की भर्ती को पूरी तरह रद्द कर दिया है। यह फैसला उन कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों के दबाव में लिया गया है, जो लंबे समय से संगीत को इस्लाम विरोधी बताते हुए इन पदों को हटाने की मांग कर रहे थे। रविवार को शिक्षा मंत्रालय ने इससे जुड़ी नई अधिसूचना जारी की, जिसमें अब केवल दो प्रकार के पदों को ही रखा गया है। मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव मसूद अख्तर खान ने पुष्टि की कि पिछले साल अगस्त में जारी नियमों में चार पद शामिल थे, लेकिन नए नियमों से म्यूजिक और फिजिकल एजुकेशन टीचर्स के पद हटा दिए गए हैं।
देश की सबसे बड़ी इस्लामी राजनीतिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे संगठनों ने संगीत को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने का कड़ा विरोध किया था। इन संगठनों का कहना है कि स्कूलों में म्यूजिक और डांस पढ़ाना इस्लाम के खिलाफ साजिश है। हिफाजत-ए-इस्लाम के नेता साजिदुर रहमान ने कहा कि संगीत इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ है और सरकार इस्लाम के खिलाफ माहौल बना रही है।
दूसरी ओर, शिक्षा विशेषज्ञों ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। एजुकेशन एक्सपर्ट राशेदा चौधरी ने कहा कि सरकार को यह दिखाना चाहिए था कि धार्मिक और सांस्कृतिक शिक्षा साथ-साथ चल सकती है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सरकार किस तरह का समाज बनाना चाहती है, जहां कला और संस्कृति को कट्टरता के नाम पर खत्म किया जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यूनुस सरकार का यह कदम अफगानिस्तान में तालिबान की सोच से मेल खाता है, जहां स्कूलों में संगीत पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। वहीं, कट्टरपंथी संगठनों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि यदि ऐसे शिक्षक नियुक्त किए गए, तो बच्चे मजहब से दूर हो जाएंगे और वे सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से कट्टरपंथी ताकतें लगातार सक्रिय हो रही हैं। जिन संगठनों पर हसीना के कार्यकाल में सख्त कार्रवाई हुई थी, वे अब फिर से खुलकर सामने आ रहे हैं। ORF की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश और अंसरुल्लाह बंगला टीम जैसे आतंकी संगठन भारत के कई राज्यों में अपना नेटवर्क फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
शेख हसीना के हटने के बाद कई कट्टरपंथी नेता जेल से फरार हो गए या उन्हें रिहा कर दिया गया। इनमें ABT प्रमुख मुफ्ती जशिमुद्दीन रहमानी समेत कई आतंकी शामिल हैं। अब जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे संगठन दोबारा सक्रिय हैं। हाल ही में 7 मार्च 2025 को ढाका में हिज्ब-उत-तहरीर संगठन ने “मार्च फॉर खिलाफत” नाम से रैली की थी, जिसमें बांग्लादेश में इस्लामी शासन लागू करने की मांग उठाई गई।