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सुनीता विलियम्स की फ्यूचर प्लानिंग का खुलासा, जानें अगले 45 दिन के अंदर क्या करेंगी एस्ट्रोनॉट‌?

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Posted On:Thursday, March 20, 2025

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स आखिरकार 9 महीने और 13 दिन के लंबे अंतरिक्ष मिशन के बाद धरती पर लौट आई हैं। उनके साथ अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर भी थे। दोनों ने स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए 19 मार्च 2025 की सुबह सुरक्षित लैंडिंग की। यह लैंडिंग भारतीय समयानुसार सुबह 3:27 बजे फ्लोरिडा के तट पर समुद्र में हुई। हालांकि लैंडिंग सफल रही, लेकिन अब सुनीता विलियम्स को एक नई चुनौती का सामना करना होगा। उनकी शारीरिक स्थिति सामान्य नहीं है। उन्हें धरती की गुरुत्वाकर्षण (Gravity) के अनुकूल बनने के लिए अब 45 दिन का कठिन रिहैब प्रोग्राम करना होगा।

शरीर हुआ कमजोर, पैर नवजात शिशु जैसे

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सुनीता विलियम्स पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं। भले ही कोई गंभीर बीमारी नहीं हुई है, लेकिन 9 महीने तक जीरो ग्रैविटी में रहने के कारण उनके शरीर पर गहरा असर पड़ा है। उनके पैरों की स्थिति किसी नवजात शिशु जैसी हो गई है। खून की कमी, हड्डियों में कमजोरी, मांसपेशियों का सिकुड़ना, और नसों में थकान जैसी समस्याएं सामने आई हैं। दिल और दिमाग की कार्यक्षमता भी प्रभावित हुई है। अब उन्हें पृथ्वी की परिस्थितियों के अनुरूप होने में समय लगेगा।

कठिन रिहैब प्रोग्राम शुरू, तीन चरण में होगी रिकवरी

सुनीता अब नासा के एस्ट्रोनॉट स्ट्रेंथ, कंडीशनिंग और रिहैबिलिटेशन (ASCR) प्रोग्राम में हिस्सा लेंगी। यह 45 दिन का सघन कार्यक्रम है, जिसमें उन्हें सप्ताह के सातों दिन, रोजाना 2 घंटे की एक्सरसाइज करनी होगी।
रिहैब के तीन चरण होंगे—

  1. बैलेंस और चलना सीखना
  2. शरीर में लचीलापन लाना
  3. मांसपेशियों को मजबूत करना

वे प्रोप्रियोसेप्टिव एक्सरसाइज और वर्किंग डेवलपमेंट प्रोग्राम करेंगी ताकि शरीर की मांसपेशियां फिर से ताकतवर हो सकें। यह जरूरी है क्योंकि अंतरिक्ष यात्रा के बाद आमतौर पर मांसपेशियों में कमजोरी, हड्डियों के घनत्व में कमी, चेहरे पर सूजन, और न्यूरोवेस्टिबुलर सिस्टम की गड़बड़ी जैसी दिक्कतें होती हैं।

क्या है आगे का प्लान?

फिलहाल, सुनीता विलियम्स किसी नए मिशन पर नहीं जा रही हैं। प्राथमिकता उनके स्वास्थ्य को पूरी तरह बहाल करना है। नासा के एक्सपर्ट्स उनके स्वास्थ्य की निगरानी करेंगे। अनुमान है कि रिहैब प्रोग्राम पूरा होने के बाद, वे नासा के भविष्य के मिशनों के ट्रेनिंग प्रोग्राम में अहम भूमिका निभा सकती हैं। साथ ही, अपनी अनुभव साझा करने के लिए स्पेस एजुकेशन प्रोग्राम्स में हिस्सा लेंगी।

मिशन लंबा खिंच गया, क्यों?

सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर क्रू-8 मिशन के तहत 5 जून 2024 को स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में रवाना हुए थे। मिशन केवल 8 दिन का था, लेकिन तकनीकी खराबी के चलते उन्हें 9 महीने तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में रुकना पड़ा। वापसी के लिए क्रू-10 मिशन भेजा गया। इसी के जरिए वे निक हेग और अलेक्सांद्र गोरबुनोव के साथ लौटे।

निष्कर्ष

सुनीता विलियम्स की वापसी भारतीयों के लिए गर्व का विषय है, लेकिन यह भी दिखाता है कि अंतरिक्ष यात्राएं अब भी जोखिमों से भरी हैं। आने वाले 45 दिन उनके लिए चुनौतीपूर्ण होंगे। पूरी दुनिया की नजर इस रिहैबिलिटेशन पर है।


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