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UNSC की मीटिंग में ट्रंप पर भड़के रूस-चीन, ईरान पर हमले के खिलाफ अमेरिका को दिखाए तेवर

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Posted On:Monday, June 23, 2025

अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ गया है। इस संकट को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने आपात बैठक बुलाकर स्थिति पर चर्चा की। यह बैठक भारतीय समयानुसार बीती रात करीब साढ़े 12 बजे हुई, जिसमें विश्व के प्रमुख देशों ने इस मसले पर अपनी चिंता और रुख जाहिर किया। इस लेख में हम इस बैठक में हुई चर्चा, अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं, और आगे की संभावनाओं का विश्लेषण करेंगे।

ईरान की मांग पर हुई आपात बैठक

ईरान ने अमेरिकी हमलों के तुरंत बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आपात बैठक बुलाने की मांग की थी। इसे लेकर परिषद ने शीघ्र ही बैठक आयोजित की, जिसमें इजरायल, ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव और विवाद को मध्यनजर रखते हुए चर्चा हुई। बैठक का उद्देश्य स्थिति को ठंडा करना और संभावित संघर्ष को रोकना था।

IAEA प्रमुख राफेल ग्रोसी ने दी जानकारी

इस बैठक में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक राफेल ग्रोसी ने ईरान के परमाणु ठिकानों की स्थिति पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अमेरिका ने फोर्डो, नतांज और इस्फहान में स्थित तीन परमाणु केंद्रों पर हमले किए हैं।

  • फोर्डो न्यूक्लियर साइट: यहां बंकर बस्टर बम गिराए गए, जिससे प्लांट को नुकसान पहुंचा है। हालांकि नुकसान की सीमा अभी स्पष्ट नहीं हो सकी है।

  • इस्फहान न्यूक्लियर प्लांट: इस प्लांट के प्रवेश मार्गों को निशाना बनाया गया।

  • नतांज न्यूक्लियर साइट: इस स्थान पर भी मिसाइल हमले किए गए।

ग्रॉसी ने यह भी साफ किया कि इन हमलों के बावजूद किसी भी साइट से परमाणु रेडिएशन लीक नहीं हुआ है, जिससे अभी तक मानव जीवन और पर्यावरण को प्रत्यक्ष खतरा नहीं पहुंचा।

अमेरिका का रुख: कार्रवाई सही और परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध

अमेरिका ने इस बैठक में अपने हमलों को सही ठहराया और जोर देकर कहा कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु हथियार विकसित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अमेरिकी प्रतिनिधि ने दोहराया कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा बनी रहे।

रूस, चीन और पाकिस्तान का विरोध और युद्धविराम प्रस्ताव

दूसरी ओर, रूस और चीन ने अमेरिका के इस कदम की कड़ी निंदा की। उन्होंने इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरनाक बताया। पाकिस्तान ने भी इन राष्ट्रों के साथ मिलकर इजरायल और ईरान के बीच युद्धविराम कराने का प्रस्ताव सुरक्षा परिषद के समक्ष रखा।

  • इस प्रस्ताव में IAEA द्वारा संरक्षित परमाणु ठिकानों पर हमले की निंदा की गई।

  • प्रस्ताव में दोनों पक्षों से तत्काल युद्धविराम की अपील की गई।

  • इसे वैश्विक शांति के लिए आवश्यक कदम बताया गया।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी इस संकट पर गहरी चिंता जताई और सभी पक्षों से कूटनीति के माध्यम से विवाद सुलझाने का आग्रह किया।

सुरक्षा परिषद की चुनौती: अमेरिका का वीटो

हालांकि प्रस्ताव पर अभी वोटिंग नहीं हुई है, लेकिन यह माना जा रहा है कि अमेरिका इसे वीटो कर सकता है, क्योंकि वह अपने सहयोगी इजरायल का समर्थन करता है। यह स्थिति सुरक्षा परिषद की कार्यक्षमता और निर्णय लेने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकती है।

वैश्विक स्थिति पर प्रभाव

इस बैठक के बाद स्पष्ट हो गया कि ईरान-अमेरिका-इजरायल विवाद वैश्विक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। यदि युद्ध और बढ़ता है, तो इससे न केवल मध्य पूर्व बल्कि पूरी दुनिया में तेल की आपूर्ति, आर्थिक स्थिरता और राजनीतिक संबंध प्रभावित होंगे। कई देश इस संघर्ष के बढ़ने से चिंतित हैं और युद्धविराम के लिए कूटनीतिक प्रयास तेज कर रहे हैं।

आगे की संभावनाएं

  • युद्धविराम की संभावना: अगर रूस, चीन और पाकिस्तान का प्रस्ताव सफल हो जाता है, तो क्षेत्र में शांति की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

  • संयुक्त राष्ट्र की भूमिका: UNSC को इस मसले पर एकमत बनाना होगा, ताकि प्रभावी और त्वरित कार्रवाई हो सके।

  • अमेरिका और इजरायल की रणनीति: दोनों देशों का रुख कड़ा है और वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह रोकने के लिए हर संभव कदम उठाने को तैयार हैं।

  • ईरान का जवाब: ईरान भी अपने आत्म-संरक्षण और क्षेत्रीय प्रभुत्व के लिए सख्त रुख अपनाएगा, जिससे तनाव कम होने में समय लग सकता है।

निष्कर्ष

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों के बाद बढ़े विवाद को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बार फिर से उजागर किया है। जबकि अमेरिका अपने कदम को सही ठहराता है, रूस, चीन और पाकिस्तान जैसे देश इसके खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं। वैश्विक समुदाय युद्ध के विस्तार से बचने और कूटनीतिक समाधान निकालने की कोशिश में लगा है। इस जटिल स्थिति में शांति कायम रखने के लिए सभी पक्षों को समझदारी और संयम दिखाना होगा, ताकि वैश्विक शांति और सुरक्षा बनी रहे।





You said:
write a contnt 700 wordsr: ईरान और इजरायल का युद्ध आज अपने 11वें दिन पर पहुंच गया है। कल अमेरिका के हमले के बाद से तनाव और गहरा गया है। ट्रंप जो हर बार अपने बयानों से मुकरते नजर आते हैं। एकबार फिर हमला करने के बाद अपनी बातों को उलटते दिखाई दिए हैं। अमेरिका द्वारा ईरान के न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला करने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सवाल किया है कि क्या ईरान में सरकार बदल सकती है? जबकि, इससे पहले वे कह रहे थे कि उनका कोई इरादा नहीं है सत्ता परिवर्तन का। जब से ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की है, तब से वह ‘अमेरिका को फिर से महान बनाने’ या MAGA की अपनी योजनाओं को दोहराते आ रहे हैं। उनके चुनावों का आधार भी यही था। अब, वह तेहरान के लिए भी इस विचार की पेशकश कर रहे हैं, जिसे ‘MIGA’ कहा जा रहा है। Advertising Advertising ट्रंप ने शेयर किया पोस्ट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, “शासन परिवर्तन” शब्द का इस्तेमाल करना राजनीतिक रूप से सही नहीं है, लेकिन अगर मौजूदा ईरानी शासन ईरान को फिर से महान बनाने में असमर्थ है, तो शासन परिवर्तन क्यों नहीं होगा? ---विज्ञापन--- Pause Mute Remaining Time -10:18 Close Player MIGA क्या है? मीगा यानी मेक ईरान ग्रेट अगेन। ट्रंप के इस शब्द के पीछे ईरान में शासन परिवर्तन कर पश्चिम समर्थक या लोकतांत्रिक सरकार बनाने की सोच है। हालांकि, इससे पहले ट्रंप के सुर बदले हुए थे और उन्होंने बोला था कि हमारा मकसद ईरान में सत्ता परिवर्तन नहीं है। अब वह पलट गए हैं और खामेनेई की सरकार बदलने की सलाह दे रहे हैं। क्यों बदलें सरकार? ट्रंप के मुताबिक, ईरान में वर्तमान स्थिति को देखते हुए तानाशाह सरकार का अंत कर, वहां लोकतांत्रिक सरकार का गठन करना है। इससे वहां के नागरिकों को बोलने, सोचने और प्रदर्शन की आजादी मिलेगी। ईरान हिज्बुल्लाह, हौथी विद्रोही और हमास जैसे आतंकी संगठनों को समर्थन देता है। ट्रंप को इस बात का भी डर है कि कही ईरान न्यूक्लियर स्टेट न बन जाएं। क्या बदल सकती है सरकार? हालांकि, ऐसा होना नामुमकिन नहीं है लेकिन यह काम आसान नहीं होगा। ईरान की सरकार कुछ हद तक कमजोर होती दिखाई दे रही है, क्योंकि वहां जनता को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मिली है। इनकी विदेश नीति अन्य देशों की तुलना में बहुत अलग है।
ChatGPT said:

ईरान और इजरायल के बीच युद्ध अब अपने 11वें दिन में प्रवेश कर चुका है। इस जंग में हालिया तनाव तब और बढ़ गया जब अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमले किए। इस हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बयानबाजी में भी विरोधाभास नजर आया। ट्रंप, जो अक्सर अपने बयानों में उलटफेर करते रहे हैं, इस बार भी उनकी बातें पहले के विपरीत दिख रही हैं। पहले वह कह रहे थे कि उनका ईरान में सरकार बदलवाने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन अब उन्होंने खुलेआम ईरान में सत्ता परिवर्तन की संभावना पर सवाल उठाया है।

ट्रंप की इस नई सोच और रणनीति को लेकर एक नया शब्द भी सामने आया है — MIGA, जिसका पूरा नाम "Make Iran Great Again" है। यह ट्रंप के पहले कार्यकाल के नारे MAGA (Make America Great Again) की तर्ज पर रखा गया है, जिसमें ईरान को फिर से महान बनाने की बात कही गई है, लेकिन इस बार वहां सत्ता परिवर्तन के माध्यम से।

ट्रंप का सोशल मीडिया पोस्ट

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर किया जिसमें उन्होंने लिखा, "शासन परिवर्तन" शब्द का इस्तेमाल राजनीतिक रूप से सही नहीं हो सकता, लेकिन अगर वर्तमान ईरानी शासन देश को फिर से महान बनाने में असमर्थ है, तो शासन परिवर्तन क्यों नहीं होना चाहिए? ट्रंप के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि वे ईरान में मौजूदा तानाशाह सरकार को हटाकर वहां एक नया लोकतांत्रिक या पश्चिम समर्थक शासन चाहते हैं।

MIGA का अर्थ और मकसद

MIGA यानी "Make Iran Great Again" ट्रंप का नया नारा है, जिसमें वे ईरान में वर्तमान सत्ता को बदलकर एक ऐसी सरकार बनाने की बात कर रहे हैं जो पश्चिम समर्थक हो और लोकतांत्रिक मूल्यों को अपनाए। यह एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है, जिसमें ट्रंप ईरान के मौजूदा कठोर और कठोरवादी शासन की जगह परिवर्तन लाना चाहते हैं।

इस सोच के पीछे का मकसद यह भी है कि ईरान के भीतर व्यापक राजनीतिक और सामाजिक सुधार हो, ताकि वहां के लोग अपनी आवाज़ बुलंद कर सकें, सोच-समझकर अपने हितों के लिए आंदोलन कर सकें।

क्यों जरूरी है ईरान में सरकार बदलना?

ट्रंप की नजर में, ईरान की मौजूदा सरकार तानाशाही है जो न केवल अपने लोगों की आज़ादी दबाती है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए भी खतरा है। ईरान हिज्बुल्लाह, हौथी विद्रोहियों और हमास जैसे आतंकी समूहों का समर्थन करता है, जो मध्य पूर्व में तनाव का बड़ा कारण हैं।

ट्रंप को सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि कहीं ईरान परमाणु शक्ति संपन्न राज्य (न्यूक्लियर स्टेट) न बन जाए, जो क्षेत्रीय संतुलन को पूरी तरह बदल सकता है। इसीलिए वे चाहते हैं कि ईरान में सत्ता परिवर्तन हो और वहां एक ऐसी सरकार बने जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ बेहतर संबंध बनाए।

क्या ईरान में सरकार बदलना संभव है?

हालांकि, यह कार्य आसान नहीं है। ईरान की सरकार और राजनीतिक व्यवस्था जटिल और गहरी है। वहां की जनता को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मिली है, और सरकार की पकड़ काफी मजबूत है। राजनीतिक विरोध और सत्ता में परिवर्तन का रास्ता कठिन है, खासकर तब जब देश के अंदरूनी और बाहरी शक्तियों के बीच गहरा संघर्ष हो।

ईरान की विदेश नीति भी कई देशों से अलग है, जो उसकी अलग-अलग रणनीतियों और गठबंधनों को दर्शाती है। इसका मतलब यह है कि अमेरिका या किसी अन्य देश के लिए ईरान में सीधे तौर पर शासन परिवर्तन लाना आसान नहीं होगा।

ट्रंप की रणनीति का संभावित प्रभाव

ट्रंप की इस नई रणनीति से क्षेत्रीय राजनीति में भारी बदलाव आ सकता है। अगर सत्ता परिवर्तन होता है तो इससे न केवल ईरान के लोगों को राजनीतिक आज़ादी मिलेगी, बल्कि यह मध्य पूर्व के कई संघर्षों का समाधान भी कर सकता है।

दूसरी ओर, अगर सत्ता परिवर्तन का प्रयास असफल रहा, तो इससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ सकता है, जो वैश्विक शांति और आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा होगा। तेल के निर्यात के मार्ग प्रभावित हो सकते हैं, और वैश्विक तेल बाजार में अस्थिरता आ सकती है।

निष्कर्ष

ईरान-इजरायल युद्ध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की रणनीति में बदलाव और ‘MIGA’ के तहत ईरान में शासन परिवर्तन की इच्छा ने इस क्षेत्रीय विवाद को और भी जटिल बना दिया है। ट्रंप के इस नए रुख से यह संकेत मिलता है कि वे सिर्फ युद्ध या सैन्य हमले तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि वे ईरान के राजनीतिक ढांचे में भी गहरा बदलाव चाहते हैं।

फिर भी, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह प्रयास कितना सफल होगा और क्या यह क्षेत्र में स्थिरता लाने में मदद करेगा या फिर नए संघर्षों को जन्म देगा। मध्य पूर्व की जटिलताओं और वैश्विक शक्तियों की राजनीति के बीच, ईरान का भविष्य एक बड़ा सवाल बना हुआ है, जिसका जवाब आने वाले समय में ही मिलेगा।



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write a contnt 700 words: ईरान और इजरायल के बीच 12 जून से चल रही जंग में अमेरिका की एंटी हो चुका है। अमेरिका ने ईरान के 3 परमाणु ठिकानों पर हमला किया। अमेरिका के हमले के बाद ईरान ने इजरायल के खिलाफ ‘ऑपरेशन ऑनेस्ट प्रॉमिस 3’ शुरू किया। इसके तहत इजरायल की राजधानी तेल अवीव समेत कई शहरों में बैलिस्टिक और लंबी दूरी वाली मिसाइलें दागकर ताबड़तोड़ हमले किए गए। जवाबी कार्रवाई करते हुए इजरायल ने भी ईरान की राजधानी तेहरान, केरमांशाह और हमादान में एयर स्ट्राइक की। ईरान में तख्तापलट पर छिड़ी चर्चा दूसरी ओर, देर रात करीब साढ़े 12 बजे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आपात बैठक हुई, जिसमें ईरान, इजरायल और अमेरिका के बीच तनाव पर चिंता जताई गई। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान में तख्तापलट की बात की। वे कहते हैं कि अगर ईरान की वर्तमान सरकार देश को महान नहीं बना सकती तो क्यों न सत्ता परिवर्तन हो जाए? आइए ईरान, इजरायल और अमेरिका में चल रहे तनाव से जुड़े आज 23 जून दिन सोमवार के पल-पल के अपडेट्स जानते हैं… ---विज्ञापन--- Pause Mute Remaining Time -10:12 Close Player टॉप न्यूज़ No War On 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हैं। बहरीन में लोगों को मेन सड़कों से दूर रहने को कहा गया है। 70% सरकारी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम पर भेज दिया गया है। 07:24 (IST) 23 Jun 2025 Israel Iran War LIVE Updates: अमेरिका की अपने लोगों के लिए एडवाइजरी Israel Iran War LIVE Updates: अमेरिका ने पूरी दुनिया में यात्रा पर जाने वाले अपने नागरिकों के लिए सिक्योरिटी अलर्ट घोषित किया है। विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि अमेरिकियों के खिलाफ बहुत से देशों में प्रदर्शन हो सकते हैं तो सतर्क रहें। ट्रैवल एडवाइजरी पढ़कर की ट्रिप का प्लान बनाएं। इजरायल और ईरान के बीच तनाव की वजह से मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव से ट्रैवल करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। 06:57 (IST) 23 Jun 2025 Israel Iran War LIVE Updates: ईरान के लिए इजरायल का नया बयान Israel Iran War LIVE Updates: इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने रविवार को ईरान के हमले देखने के बाद कहा कि अब ईरान हमारे लिए लेबनान जैसा है। नेतन्याहू ने रविवार को इजरायल की बेहतरी के लिए जेरुसलम जाकर Western वाल पर पूजा अर्चना की और राष्ट्रपति ट्रंप के लिए भी दुआएं मांगी। नेतन्याहू ने तय कर दिया है कि ईरान द्वारा अपने परमाणु कार्यक्रम के किसी भी हिस्से को फिर से शुरू करने का कोई भी प्रयास किया गया तो इजरायल द्वारा ईरान पर उसी समय हमला किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब से हम ईरान के साथ वही व्यवहार करेंगे, जैसा लेबनान के साथ करते हैं कि इजरायल के लिए खतरा पैदा करने वालों को जरा भी बर्दाश्त नहीं करेंगे। 06:32 (IST) 23 Jun 2025 Israel Iran War LIVE Updates: UNSC की आपात बैठक में प्रस्ताव पेश Israel Iran War LIVE Updates: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से ईरान ने आपात बैठक बुलाने की मांग की थी। अमेरिका द्वारा ईरान पर किए गए हमलों के बाद ‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे’ का हवाला देते हुए परिषद ने आपात बैठक बुला भी ली, जिसे IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) के महानिदेशक राफेल ग्रोसी ने संबोधित किया। उन्होंने ईरान की स्थिति के बारे में देशों को बताया। बैठक भारतीय समयानुसार रात करीब 12:30 बजे हुई, जिसमें UN महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि ईरान पहले ही अशांति से जूझ रहा है और अमेरिका ने बमबारी करके विवाद को खतरनाक मोड़ दे दिया है। कूटनीति से बढ़ते खतरे से बचना होगा, नागरिकों की सुरक्षा करनी होगी, सुरक्षित समुद्री परिवहन की गारंटी देनी होगी। रूस, चीन, पाकिस्तान द्वारा प्रस्तावित मसौदे पर को पहले सुरक्षा परिषद के सदस्यों के बीच प्रचारित प्रसारित किया जाएगा, फिर अगले सप्ताह की शुरुआत में इस पर मतदान कराया जाएगा। First published on: Jun 23, 2025 06:25 AM
ChatGPT said:

ईरान और इजरायल के बीच 12 जून से चल रही जंग अब अपने 12वें दिन में प्रवेश कर चुकी है। इस जंग में हाल ही में अमेरिका भी सक्रिय हो चुका है, जिसने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर सटीक हमले किए हैं। अमेरिका के इस सैन्य कदम के बाद ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई की, जिसके तहत उसने इजरायल की राजधानी तेल अवीव समेत कई शहरों में बैलिस्टिक और लंबी दूरी वाली मिसाइलों से हमला किया। इस ताबड़तोड़ मिसाइल हमले को ‘ऑपरेशन ऑनेस्ट प्रॉमिस 3’ नाम दिया गया है। वहीं, इजरायल ने भी अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करते हुए ईरान की राजधानी तेहरान, केरमांशाह और हमादान में एयर स्ट्राइक की।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक

इन बढ़ते तनावों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने 23 जून को आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में ईरान, इजरायल और अमेरिका के बीच जारी तनाव पर गहरी चिंता जताई गई। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस अवसर पर ईरान में तख्तापलट की बात भी उठाई। उन्होंने कहा कि अगर ईरान की वर्तमान सरकार देश को महान नहीं बना पा रही है तो सत्ता परिवर्तन क्यों न किया जाए? इस बयान ने मध्य पूर्व की जटिल राजनीतिक तस्वीर को और उलझा दिया है।

युद्ध की वजह से वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल

ईरान और इजरायल के बीच जारी संघर्ष और अमेरिका की हस्तक्षेप के कारण वैश्विक बाजारों में भी अस्थिरता दिख रही है। 23 जून को भारत के शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज हुई। BSE सेंसेक्स में 683 अंक और निफ्टी में 216 अंक की गिरावट आई। बाजार खुलते ही सेंसेक्स 705.65 अंक गिरकर 81,702.52 के स्तर पर आ गया, जबकि निफ्टी 182.85 अंक गिरकर 24,929.55 पर पहुंचा। इस गिरावट का मुख्य कारण मध्य पूर्व में चल रहे युद्ध और उससे उत्पन्न वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता मानी जा रही है।

अमेरिका की सुरक्षा बैठक और भविष्य की रणनीति

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसी दिन अपनी नेशनल सिक्योरिटी टीम के साथ बैठक की, जिसमें ईरान के साथ जारी तनाव और भविष्य की रणनीति पर चर्चा हुई। इस बैठक का उद्देश्य क्षेत्रीय संकट को नियंत्रित करना और आवश्यक सैन्य एवं कूटनीतिक कदमों पर फैसला लेना था। अमेरिकी प्रशासन की ओर से यह संकेत भी दिया गया कि वे ईरान के खिलाफ और सख्त कदम उठा सकते हैं।

जंग का मानवीय पक्ष: जान-माल की भारी हानि

इस भीषण युद्ध में मानवीय संकट भी गहरा रहा है। AP की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली हमलों में अब तक ईरान में लगभग 950 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 3450 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इसके अलावा, इस संघर्ष के कारण लाखों लोग विस्थापित हो सकते हैं, जो क्षेत्रीय और वैश्विक शरणार्थी संकट को बढ़ावा देगा।

खाड़ी देशों में बढ़ता तनाव

ईरान पर अमेरिका के हमले के बाद खाड़ी देशों में भी सुरक्षा की चिंता बढ़ गई है। सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और कतर ने अपने यहां सुरक्षा अलर्ट जारी कर दिया है। खासकर सऊदी अरब और कुवैत ने अमेरिकी सैन्य ठिकानों की सुरक्षा बढ़ा दी है। बहरीन ने लोगों को मुख्य सड़कों से दूर रहने और सरकारी कर्मचारियों को घर से काम करने के निर्देश दिए हैं। इस प्रकार, मध्य पूर्व में सुरक्षा व्यवस्था और भी कड़ी कर दी गई है।

अमेरिका की वैश्विक सुरक्षा चेतावनी

ईरान-इजरायल के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए वैश्विक सुरक्षा अलर्ट भी जारी किया है। विदेश मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि विभिन्न देशों में अमेरिकी नागरिकों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं। यात्रा करने वालों को सतर्क रहने और ट्रैवल एडवाइजरी पढ़कर ही यात्रा करने की सलाह दी गई है। मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव की वजह से कई जगह यात्रा में बाधाएं आ सकती हैं।

इजरायली प्रधानमंत्री का कड़ा रुख

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की मिसाइलों के जवाब में स्पष्ट कहा है कि वे ईरान को लेकर बिल्कुल भी नरम नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि ईरान अब उनके लिए लेबनान जैसा खतरा बन चुका है। नेतन्याहू ने जेरूसलम के वेस्टर्न वॉल पर पूजा-अर्चना की और ट्रंप के लिए दुआ मांगी। उनका साफ संदेश था कि यदि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को फिर से शुरू करने की कोशिश करता है, तो इजरायल तुरंत हमला करेगा।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अमेरिका के ईरान पर हमलों को ‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा’ बताया है। रूस, चीन और पाकिस्तान ने मिलकर इजरायल और ईरान के बीच तत्काल युद्धविराम की मांग की है। UNSC की इस आपात बैठक में IAEA के महानिदेशक राफेल ग्रोसी ने ईरान के परमाणु ठिकानों की स्थिति से सभी देशों को अवगत कराया। प्रस्ताव पर वोटिंग की प्रक्रिया अगले सप्ताह हो सकती है, लेकिन अमेरिका इसके खिलाफ वीटो कर सकता है।


इस प्रकार, ईरान-इजरायल युद्ध में अमेरिका की एंट्री ने संकट को और गहरा दिया है। वैश्विक स्तर पर राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा स्थिति अस्थिर हो गई है। संयुक्त राष्ट्र और विश्व समुदाय इस तनावपूर्ण स्थिति को शांत करने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन फिलहाल मध्य पूर्व में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और आगे की घटनाओं पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है।


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