ईरान और इजरायल के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है, और इस विवाद ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति का एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी ईरान के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उन्होंने ईरान को बिना शर्त आत्मसमर्पण करने की सलाह दी थी, जिसका जवाब ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्ला अली खामेनेई ने दिया। ट्रंप की यह सख्त नीति मध्य पूर्व में एक नई चुनौतियों की ओर संकेत करती है।
ट्रंप ने इससे पहले रूस-यूक्रेन युद्ध में भी मध्यस्थता का प्रयास किया था, लेकिन वहां उनकी बात का कोई असर नहीं हुआ। इसी प्रकार, भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को टालने के लिए भी उन्होंने मध्यस्थता की कोशिश की, लेकिन वहां भी सफलता नहीं मिली। इन सभी विवादों के बीच, पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने इन मुद्दों पर गहरा विश्लेषण प्रस्तुत किया है और पाकिस्तान व उसके सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर का चेहरा दुनिया के सामने उजागर किया है।
ट्रंप-मुनीर बैठक और माइकल रुबिन की आलोचना
हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के प्रमुख सेना प्रमुख आसिम मुनीर की एक बैठक हुई, जिसे लेकर कई आलोचनाएं सामने आई हैं। माइकल रुबिन ने इस बैठक को “ऐतिहासिक, खतरनाक और गुमराह करने वाली रणनीति” करार दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका का पाकिस्तान पर भरोसा कर ईरान से मुकाबला करना विदेश नीति की दृष्टि से गलत होगा। रुबिन के मुताबिक, पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो आतंकवाद के प्रायोजन में लगा हुआ है और जिस पर भरोसा करना एक बड़ी भूल होगी।
भारत और पीएम मोदी के लिए सलाह
माइकल रुबिन ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि उसे अपने आतंकवादी प्रायोजन को तत्काल बंद करना चाहिए। उन्होंने पाकिस्तान के “काले चेहरे” को बेनकाब किया और बताया कि पाकिस्तान विश्व के किसी भी नेता का फायदा उठाने की कोशिश कर सकता है, लेकिन अंततः इसकी कीमत उसे चुकानी ही पड़ेगी।
रुबिन ने भारत को अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद लेने की सलाह दी। वे कहते हैं कि भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को ठोस तथ्यों और वास्तविकताओं के आधार पर बनाना होगा, न कि अस्थायी और राजनीतिक वादों पर। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि डोनाल्ड ट्रंप भले ही खुद को मध्यस्थ दिखाएं, लेकिन भारत के लिए अपने हितों का निर्णय करना भारत की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काम है। अमेरिका की नीति डोनाल्ड ट्रंप के एक व्यक्ति के हाथ में नहीं है, इसलिए भारत को व्यापक वैश्विक परिप्रेक्ष्य को समझना होगा।
ट्रंप का नोबेल पुरस्कार लक्ष्य
माइकल रुबिन का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप नोबेल पुरस्कार जीतने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। उनकी व्हाइट हाउस में आसिम मुनीर से मुलाकात को वे बेबुनियाद मानते हैं। रुबिन कहते हैं कि ट्रंप का यह दावा कि पाकिस्तान अमेरिका का सच्चा मित्र है, सही नहीं है। वे यह सब केवल अपने राजनीतिक लाभ और पुरस्कार पाने के लिए कर रहे हैं, जबकि इतिहास और नैतिक सुरक्षा की गहरी समझ से वे वंचित हैं।
पाकिस्तान के असली इरादे
रुबिन आगे बताते हैं कि दुनिया के कई देश पाकिस्तान को एक आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश के रूप में देखते हैं। पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो आतंक को अपने हितों के लिए बढ़ावा देता है। वे कहते हैं कि पाकिस्तान अमेरिका के साथ साझेदारी का दिखावा करता है ताकि वित्तीय लाभ प्राप्त कर सके, लेकिन उसकी असली नीयत कुछ और ही होती है।
ईरान-इजरायल युद्ध में पाकिस्तान की भूमिका
माइकल रुबिन के मुताबिक, ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव में पाकिस्तान की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। उन्होंने संकेत दिया कि अमेरिका की किसी भी योजना में, जिसमें ईरान में सैन्य घुसपैठ या परमाणु सामग्री की तस्करी शामिल हो, पाकिस्तान की मदद ली जा सकती है।
रुबिन कहते हैं कि भले ही पाकिस्तान और ईरान कभी-कभी सहयोगी नजर आते हैं, लेकिन वे असल में प्रतिद्वंदी देश हैं। यदि ईरान अपने परमाणु हथियारों का त्याग करता है, तो यह पाकिस्तान के हित में होगा। इसके अलावा, अमेरिका को भी ईरान-इजरायल युद्ध में पाकिस्तान का समर्थन मिल सकता है, जो इस क्षेत्र की जटिलताओं को और बढ़ाएगा।
निष्कर्ष
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच अमेरिका की रणनीति, पाकिस्तान के साथ संबंध और भारत की सुरक्षा नीतियां गहरे सवाल खड़े कर रही हैं। माइकल रुबिन जैसे विशेषज्ञों की आलोचना बताती है कि पाकिस्तान पर भरोसा करना अमेरिका की विदेशी नीति की एक बड़ी कमजोरी है। भारत को भी अपनी सुरक्षा नीति में इस वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए कदम उठाने की जरूरत है।
यह समय बेहद संवेदनशील है, जहां सही कूटनीति और रणनीतिक फैसलों से ही क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है। इसके विपरीत, गलत निर्णय वैश्विक सुरक्षा को बड़े संकट में डाल सकते हैं। इसलिए भारत, अमेरिका और अन्य देश अपने हितों को लेकर सावधानी से चलें, और आतंकवाद और युद्ध के कुप्रभावों को रोकने के लिए मिलकर काम करें।