रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध इन दिनों थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों देशों के बीच जारी हिंसा ने न केवल हजारों लोगों की जान ली है, बल्कि पूरी दुनिया की राजनीति, सुरक्षा और आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित किया है। हाल ही में तुर्की के इस्तांबुल में रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडलों के बीच शांति वार्ता हुई, लेकिन इस बैठक में कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया जा सका और युद्धविराम पर सहमति नहीं बनी। इसके बाद यूक्रेन ने रूस पर फिर से ड्रोन हमले किए, जिनसे रूस में बड़े पैमाने पर ब्लैकआउट हो गया।
इस्तांबुल में शांति बैठक लेकिन कोई ठोस हल नहीं
6 जून 2023 को तुर्की के इस्तांबुल में रूस-यूक्रेन की दूसरी शांति बैठक हुई, जिसमें दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के प्रतिनिधि दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया। साथ ही युद्ध में बंदी बने बीमार, युवा और बच्चों की कैदियों की अदला-बदली पर सहमति बनी। हालांकि यूक्रेन ने पूर्ण युद्धविराम की मांग की, लेकिन रूस ने केवल दो-तीन दिनों के लिए अस्थायी युद्धविराम पर सहमति जताई। इस दौरान दोनों देशों ने युद्ध में मारे गए सैनिकों के शवों का आदान-प्रदान करने पर भी सहमति व्यक्त की।
फिर भी, इस बैठक के बाद भी दोनों देशों के बीच गंभीर मतभेद बने हुए हैं, जिससे युद्ध की समाप्ति फिलहाल नजर नहीं आ रही। यूक्रेन युद्धविराम के साथ-साथ अपनी सभी भूमि की वापसी चाहता है, जबकि रूस अपने कब्जे वाले क्षेत्रों पर अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास कर रहा है।
यूक्रेन का ताबड़तोड़ ड्रोन हमला
शांति बैठक के बावजूद, यूक्रेन ने 5 जून की रात को रूस पर फिर से धावा बोल दिया। यह हमला खासतौर पर उन इलाकों पर केंद्रित था जिन्हें रूस ने पिछले तीन सालों में यूक्रेन से छीन लिया था। यूक्रेन के ड्रोन हमलों ने रूस के खेरसॉन और जापोरिज्जिया क्षेत्रों में बिजली उपकेंद्रों को निशाना बनाया, जिसके कारण वहां ब्लैकआउट की स्थिति उत्पन्न हो गई।
खासतौर पर मेलिटोपोल और जापोरिज्जिया क्षेत्र के एक बड़े उपकेंद्र पर हमला हुआ, जिससे पूरे इलाके में बिजली गुल हो गई। इस ब्लैकआउट से न केवल वहां के नागरिक प्रभावित हुए, बल्कि यह रूस के लिए रणनीतिक नुकसान भी साबित हो सकता है। इस हमले से यह साफ हो गया कि युद्ध के बीच भी दोनों पक्षों की लड़ाई जारी है और कोई भी पक्ष हार मानने को तैयार नहीं है।
रविवार को भी हुआ था बड़ा हमला
दरअसल, यह पहला हमला नहीं था। इससे एक दिन पहले, 4 जून को यूक्रेन ने "ऑपरेशन स्पाइडर" के तहत रूस के एक एयरबेस पर हमला किया था। इस ड्रोन हमले में रूस के लगभग 40 बॉम्बर्स को नष्ट कर दिया गया था। यह हमला इस्तांबुल में शांति बैठक से ठीक एक दिन पहले हुआ था और 6 जून को भी इसी तरह के हमले की खबरें आई थीं। इससे युद्ध की गति और दोनों देशों के बीच तनाव की गहराई का पता चलता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध: जटिल राजनीति और मानवीय संकट
रूस और यूक्रेन के इस युद्ध ने न केवल दो देशों के बीच के राजनीतिक संबंधों को बिगाड़ा है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी कई चुनौतियां लेकर आया है। हजारों निर्दोष नागरिक मारे गए हैं, लाखों लोग विस्थापित हुए हैं, और आर्थिक रूप से दोनों देशों की स्थिति खराब हो चुकी है। ऊर्जा संकट, खाद्य सुरक्षा, और वैश्विक बाजार में अस्थिरता इस युद्ध के दुष्प्रभाव के उदाहरण हैं।
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का बयान
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने शांति बैठक के बाद कहा कि कैदियों की अदला-बदली और बंधक बच्चों की वापसी दोनों देशों के बीच एक अच्छी शुरुआत है। उन्होंने कहा कि यदि ये प्रक्रिया सफल रही तो यह युद्ध को कम करने में मददगार साबित हो सकती है।
साथ ही, उन्होंने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने की भी वकालत की। जेलेंस्की ने यूरोपीय संघ (EU) और अमेरिका से अपील की कि वे रूस पर और अधिक कड़े प्रतिबंध लगाएं ताकि रूस को युद्ध विराम के लिए मजबूर किया जा सके।
आगे की चुनौतियां
इस वक्त रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान के लिए कई बाधाएं मौजूद हैं। राजनीतिक और सैन्य दृष्टि से दोनों देशों की मांगें अलग-अलग हैं। युद्धविराम के बावजूद दोनों ओर से हमले जारी हैं, जिससे शांति स्थापित करना मुश्किल होता जा रहा है।
दुनिया की नजरें इस ओर लगी हैं कि कब और कैसे इस संघर्ष का कोई स्थायी हल निकलता है, ताकि इस विनाशकारी युद्ध से लाखों लोगों को राहत मिल सके।
निष्कर्ष
रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष अभी समाप्त होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। तुर्की में शांति वार्ता के बावजूद भी दोनों पक्षों के बीच युद्ध की जंग बढ़ती ही जा रही है। यूक्रेन के ड्रोन हमलों से रूस में बड़े पैमाने पर बिजली गुल होने जैसी घटनाएं इस युद्ध की तीव्रता को दर्शाती हैं।
इस बीच, मानवीय और राजनीतिक दोनों स्तरों पर समाधान खोजने की जरूरत है ताकि इस लंबे खिंचे संघर्ष को समाप्त किया जा सके और क्षेत्र में स्थिरता लौट सके।
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