मुंबई, 05 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) में राजनीतिक खींचतान एक बार फिर चरम पर पहुंच गई है। सरकार द्वारा गठित एडहॉक कमेटी में बढ़ते मतभेदों ने ऐसा रूप ले लिया है कि रणजी ट्रॉफी और अंडर-23 टूर्नामेंट के लिए एक ही राज्य की दो अलग-अलग टीमें घोषित कर दी गई हैं। इस टकराव ने खिलाड़ियों, चयनकर्ताओं और प्रशंसकों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है।
एक टीम की घोषणा एडहॉक कमेटी के कन्वीनर डीडी कुमावत ने की, जबकि दूसरी टीम चार सदस्यों—धनंजय सिंह खींवसर, पिंकेश जैन, मोहित यादव और आशीष तिवारी—की ओर से जारी की गई। अब सवाल यह है कि हैदराबाद के खिलाफ होने वाले अगले रणजी मुकाबले में आखिर मैदान पर उतरेगी कौन सी टीम।
कन्वीनर डीडी कुमावत ने दावा किया कि वह एडहॉक कमेटी के अधिकृत प्रमुख हैं और उनकी ओर से घोषित टीम ही मान्य होगी। उनका कहना है कि चयनकर्ताओं की नियुक्ति पिछली AGM में हुई थी और तब किसी सदस्य ने आपत्ति नहीं जताई थी। वहीं, सदस्य पिंकेश जैन का कहना है कि कमेटी बहुमत के साथ चलती है और बहुमत से चुनी गई टीम ही वैध मानी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कन्वीनर को आपत्ति है, तो बातचीत से समाधान निकाला जा सकता है।
टीम चयन को लेकर भी दोनों पक्षों में मतभेद हैं। अंडर-23 टीम से सर्वज्ञ पानेरी, शोभित मिश्रा, राज शर्मा और भगवान सिंह को बाहर कर नीलेश टांक, राहुल गर्ग, अमोल चेलानी और प्रशांत माली को शामिल किया गया है। वहीं रणजी टीम से दीपक चौधरी और अभिजीत तोमर को हटाकर रामनिवास गोलाडा और साहिल दीवान को जोड़ा गया है।
RCA का विवादों से पुराना रिश्ता रहा है। 90 के दशक में भी दो टीमों के विवाद ने सुर्खियां बटोरी थीं। 2007 और 2008 में भी रणजी मैचों के दौरान ऐसी ही स्थिति बनी थी, जब बीसीसीआई को हस्तक्षेप करना पड़ा था। अब फिर बढ़ते विवाद के चलते मामला बीसीसीआई तक पहुंच चुका है। सूत्रों का कहना है कि यदि RCA जल्द समाधान नहीं निकालता तो बीसीसीआई खुद कमेटी गठित कर सकता है।
पहले भी जब ललित मोदी ने RCA में वापसी की कोशिश की थी, तब बीसीसीआई ने संगठन पर लंबा प्रतिबंध लगाया था और ‘टीम राजस्थान’ नाम से अलग समिति बनाकर क्रिकेट संचालन किया था। मौजूदा विवाद से सबसे अधिक नुकसान खिलाड़ियों को हो रहा है, जो यह समझ नहीं पा रहे कि किस टीम को वैध माना जाएगा और बीसीसीआई किसे अधिकृत मान्यता देगा।