दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक इंजनों में से एक, न्यूयॉर्क सिटी ने 4 नवंबर को मतदान के बाद अपना 111वां मेयर चुना, और नतीजों ने इतिहास रच दिया। 34 वर्षीय युवा विधायक जोहरान क्वामे ममदानी ने एक नाटकीय मुकाबले में न केवल पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो को हराया, बल्कि रिपब्लिकन उम्मीदवार कर्टिस स्लिवा को भी पीछे छोड़ दिया। जोहरान ममदानी न्यूयॉर्क के इतिहास में पहले मुस्लिम, पहले दक्षिण एशियाई और 1892 के बाद सबसे युवा मेयर बने हैं। उनकी यह जीत सिर्फ अमेरिकी राजनीति के लिए नहीं, बल्कि भारत जैसे बहुसांस्कृतिक देश के लिए भी एक बड़ी सीख लेकर आई है।
जोहरान ममदानी की जीत क्यों है इतनी बड़ी?
न्यूयॉर्क सिटी सिर्फ एक शहर नहीं है, बल्कि यह अमेरिका का आर्थिक इंजन है। 2024 में न्यूयॉर्क की GDP $2.32 ट्रिलियन से अधिक थी। अगर इसे एक देश माना जाए, तो यह दुनिया की 13वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी। यह शहर फाइनेंस (वॉल स्ट्रीट), हेल्थकेयर, टेक और रियल एस्टेट का वैश्विक केंद्र है। मेयर का एक फैसला राष्ट्रीय बाजारों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। न्यूयॉर्क की आबादी लगभग 88 लाख है, जिनमें 37% अप्रवासी (Immigrants) हैं। ममदानी की जीत प्रोग्रेसिव आंदोलन के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ है, क्योंकि उन्होंने राजनीतिक परंपराओं को तोड़कर यह मुकाम हासिल किया है।
जीत के 4 प्रमुख कारण: मुद्दों पर फोकस
जोहरान ममदानी की सफलता के पीछे उनकी स्पष्ट और जमीनी राजनीति थी:
महंगाई का मुद्दा (Cost of Living): ममदानी ने पूरे कैंपेन में महंगाई पर ध्यान केंद्रित किया। उनका नारा था: "एक शहर जो हम अफोर्ड कर सकें" और "सस्ता घर बनाओ।" उन्होंने कहा कि सरकार का काम लोगों की जिंदगी आसान बनाना है।
जनता से सीधा जुड़ाव: उन्होंने बातों को घुमाने की बजाय साफ कहा कि अमीरों पर टैक्स लगाओ, बच्चों की देखभाल बढ़ाओ और घर को एक हक बनाओ। उन्होंने खुद को मजदूरों के नेता के रूप में पेश किया, न कि "1% अमीरों" के।
इंटरनेट का सही इस्तेमाल: ममदानी ने पारंपरिक राजनीतिक सपोर्ट न मिलने पर इंटरनेट और रचनात्मक कैंपेनिंग का सहारा लिया। उन्होंने स्कैवेंजर हंट, फुटबॉल टूर्नामेंट और LGBTQ+ बार में पॉप-अप इवेंट आयोजित किए।
युवा कार्यकर्ताओं पर फोकस: उन्होंने युवा स्वयंसेवकों की एक ऊर्जावान टीम बनाई, जिन्होंने पुराने सलाहकारों और रणनीतिकारों की तुलना में अधिक प्रभावी ढंग से जमीनी काम किया।
CBS News के अनुसार, ममदानी को 50.4% वोट मिले, जो 1969 के बाद किसी भी न्यूयॉर्क मेयर उम्मीदवार को मिले सबसे ज्यादा वोट थे।
बहु-धार्मिक छवि और लोकतंत्र की जीत
जोहरान ममदानी की व्यक्तिगत पृष्ठभूमि उनकी जीत को और भी महत्वपूर्ण बनाती है। पिता महमूद ममदानी (मुस्लिम) और मां मीरा नायर (हिंदू) हैं। उनकी पत्नी कायला सैंटोसुओसो अमेरिकी ईसाई हैं। खुद शिया मुस्लिम होने के बावजूद, वह ईसाई-यहूदी बहुल शहर (57% ईसाई, 11% यहूदी, 9% मुस्लिम आबादी) के मेयर बने। इस जीत से साबित होता है कि न्यूयॉर्क में वोटिंग धर्म पर नहीं, बल्कि जमीनी मुद्दों पर होती है। ममदानी की जीत उन लोगों के लिए एक करारा जवाब है जो राजनीति में धर्म को हथियार बनाते हैं। पूर्व गवर्नर कुओमो ने ममदानी पर 'इस्लामोफोबिक अटैक्स' भी किए, लेकिन वोटर्स ने उन्हें खारिज कर दिया। ममदानी ने अपनी विक्ट्री स्पीच में कहा, "मैं मुसलमान हूं, लेकिन जनता के लिए मेयर हूं।"
भारत के लिए सीख: विकास की राजनीति पर फोकस
विदेश मामलों के जानकार और JNU के प्रोफेसर डॉ. राजन कुमार के अनुसार, ममदानी की जीत भारत के लिए बड़ी सीख है। उन्होंने कहा कि न्यूयॉर्क के अप्रवासी धर्म की राजनीति की जगह जमीनी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। डॉ. कुमार ने जोर दिया, "भारत को न्यूयॉर्क चुनाव से विकास की राजनीति सीखनी चाहिए। भारत का युवा विकास चाहता है, नौकरी चाहता है, कम महंगाई और सस्ती चीजें चाहता है। अगर राजनेता इन मुद्दों पर चुनाव लड़ें तो यहां भी न्यूयॉर्क जैसा विकास हो सकता है। आज का युवा मंदिर-मस्जिद नहीं देखता, वे सुविधाएं देखता है।" ममदानी ने दुनिया के सबसे ताकतवर व्यक्ति डोनाल्ड ट्रंप की फेडरल फंडिंग काटने की धमकी को भी धता बताते हुए जीत हासिल की, क्योंकि न्यूयॉर्क के लोगों ने धमकी नहीं, बल्कि लोकतंत्र और अपने शहर के भविष्य को चुना।