मुंबई, 30 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कैथोलिक ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने ईस्टर से पहले रोम की जेल में बंद 12 महिला कैदियों के पैर धोए और चूमे। पोप ने व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे इस रस्म को पूरा किया। दरअसल, 31 मार्च को ईस्टर है। इससे पहले पवित्र बृहस्पतिवार के दिन लोगों के पैर धोकर और उन्हें चूमकर पोप फ्रांसिस या इस पद पर बैठा कैथलिक धर्मगुरु ये जताते हैं कि वो अपने समुदाय के लोगों की सेवा करने के लिए समर्पित हैं। पोप ने भी इस परंपरा को निभाया। रस्म रेबिबिया जेल में निभाई गई। महिलाएं एक ऊंचे मंच पर स्टूल पर बैठी थीं, ताकि पोप व्हीलचेयर से आसानी से रस्म को पूरा कर सकें। जब फ्रांसिस ने महिलाओं के पैर धोए तो वे रो पड़ीं। पोप ने उनके पैर पर धीरे से पानी डाला और फिर एक छोटे तौलिये से पोछा फिर चूमकर रस्म को पूरा किया।
दरअसल, यीशु को सूली (क्रॉस) पर चढ़ाए जाने से पहले आखिरी बार जब उन्होंने अपने ईसाई समर्थकों के साथ खाना खाया तो यीशु ने उनके पैर धोए थे। पोप इसी परंपरा को निभाया निभा रहे हैं। 2013 में जब पोप जब कैथलिक धर्मगुरू बने वो तब से इस रिवाज को निभाते आ रहे हैं। उन्होंने इसमें दूसरे समुदाय और धर्म के लोगों और महिलाओं को शामिल किया। पोप फ्रांसिस ने रेबिबिया जेल में लोगों को संबोधित भी किया। उन्होंने अपने संबोधन में पादरियों से पाखंड से दूर रहने का आह्वान किया। उन्होंने पादरियों से कहा कि वे आम लोगों को जो भी उपदेश देते हैं, उसका पालन उन्हें खुद भी अपने आध्यात्मिक जीवन में करना चाहिए।