मुंबई, 28 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ट्रेड सलाहकार पीटर नवारो ने यूक्रेन जंग को ‘मोदी वॉर’ करार दिया है। उन्होंने ब्लूमबर्ग टीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे रिफाइन करता है और ऊंचे दामों पर बेचता है। नवारो के मुताबिक, इस कमाई से रूस को यूक्रेन पर हमला करने के लिए फंड मिलता है। नवारो ने चेतावनी दी कि रूस और चीन के साथ भारत की नजदीकियां पूरी दुनिया के लिए खतरनाक हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि भारत तानाशाहों के साथ खड़ा है, जबकि चीन अक्साई चिन समेत भारत के कई हिस्सों पर कब्जा कर चुका है और रूस भी भारत का सच्चा दोस्त नहीं है।
नवारो ने आरोप लगाया कि भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद अमेरिका के लिए नुकसानदेह है। उन्होंने कहा कि भारतीय नेता खुले तौर पर कहते हैं कि वे रूसी तेल खरीदना बंद नहीं करेंगे और यही पैसा रूस के युद्ध तंत्र को चलाने में इस्तेमाल होता है। उनके मुताबिक, यूक्रेन पर रूस का हमला यूरोप और अमेरिका पर दबाव डालता है और अंततः अमेरिकी टैक्सपेयर्स का पैसा इस जंग में खर्च होता है। उन्होंने भारतीय टैरिफ नीति पर भी निशाना साधा और कहा कि भारत की ऊंची दरें अमेरिकी कामगारों, कारोबार और आम जनता को नुकसान पहुंचा रही हैं। उनका कहना था कि भारत की वजह से अमेरिका में फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं, नौकरियां घट रही हैं और मजदूरी का फायदा खत्म हो रहा है। उन्होंने पीएम मोदी को एरोगेंट करार दिया और दावा किया कि भारत का रोजाना 15 लाख बैरल रूसी तेल खरीदना यूक्रेनी लोगों पर हमला करने के लिए हथियार खरीदने का जरिया बन गया है।
दरअसल, ट्रम्प पहले भी भारत पर यही आरोप लगा चुके हैं, जिसे भारत ने खारिज करते हुए कहा था कि देश अपनी ऊर्जा जरूरतों के हिसाब से फैसले करता है। नवारो की यह टिप्पणी ऐसे वक्त आई है जब अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगाया है, जिससे भारत के 66% निर्यात पर असर पड़ सकता है। 2024-25 में भारत-अमेरिका का द्विपक्षीय व्यापार 131.8 अरब डॉलर तक पहुंचा था। व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने भी भारत को चेताया है कि अगर उसने व्यापार नीति नहीं बदली तो ट्रम्प और सख्त कदम उठाएंगे। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत के रुख से निराश है और रूस पर दबाव डालने के लिए ही टैरिफ बढ़ाए गए हैं ताकि यूक्रेन युद्ध को रोका जा सके। भारत इस समय चीन के बाद रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। युद्ध से पहले भारत रूस से महज 0.2% तेल खरीदता था, लेकिन मई 2023 तक यह बढ़कर 45% हो गया। 2025 में जनवरी से जुलाई तक भारत ने रोजाना औसतन 17.8 लाख बैरल तेल रूस से खरीदा। बीते दो सालों से भारत हर साल 130 अरब डॉलर से ज्यादा का रूसी तेल आयात कर रहा है।