ढाका: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को उनके देश में मृत्युदंड की सज़ा सुनाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक और कानूनी तनाव पैदा हो गया है। बांग्लादेश सरकार भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर रही है, जो वर्तमान में भारत में शरण लिए हुए हैं। इस बीच, हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने भारत सरकार के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया है, यह कहते हुए कि भारत ने उनकी मां की जान बचाई है।
शेख हसीना पर उनके कार्यकाल के दौरान कई गंभीर आरोप तय किए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें यह कठोर सज़ा सुनाई गई है। हालांकि, फैसले से पहले ही हसीना भारत पहुंच चुकी थीं। समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में सजीब वाजेद ने भारत को "हमेशा से एक अच्छा दोस्त" बताया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि "इस मुश्किल समय में भारत ने मेरी माँ की जान बचाई है।" वाजेद ने इस सहायता के लिए सीधे तौर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा, "मैं इसके लिए हमेशा प्रधानमंत्री मोदी की सरकार का आभारी रहूंगा।" वाजेद ने यह बयान अपनी माँ को सज़ा सुनाए जाने के बाद दिया है, हालांकि उन्होंने पहले ही यह आशंका जता दी थी कि यह फैसला आने वाला है। उन्होंने पहले भी कहा था कि उनकी माँ भारत में ही सुरक्षित हैं।
"हत्या की प्लानिंग कर चुके थे उग्रवादी"
सजीब वाजेद ने अपनी माँ के बांग्लादेश छोड़ने के कारणों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने दावा किया कि "अगर वह अपना देश नहीं छोड़तीं, तो उग्रवादियों ने उनकी हत्या की प्लानिंग कर ली होती।" यह बयान बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा और अस्थिरता की ओर इशारा करता है, जिसने हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर किया।
प्रत्यर्पण पर कानूनी और राजनीतिक गतिरोध
बांग्लादेश द्वारा शेख हसीना की वापसी की मांग के संबंध में, सजीब वाजेद ने कानूनी प्रक्रिया और बांग्लादेश की वर्तमान सरकार की वैधता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि प्रत्यर्पण के लिए न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना ज़रूरी है, लेकिन उन्होंने बांग्लादेश की वर्तमान व्यवस्था को "अवैध सरकार" करार दिया। वाजेद ने आरोप लगाया कि हसीना को सज़ा देने के उद्देश्य से ही उस देश की सरकार ने कानूनों में संशोधन किया है।
इस पूरे घटनाक्रम ने भारत को एक नाजुक राजनयिक स्थिति में ला खड़ा किया है। एक ओर बांग्लादेश अपने पूर्व प्रधानमंत्री की वापसी की मांग कर रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत एक ऐसे नेता को शरण दिए हुए है, जिसने दावा किया है कि उसे जान का खतरा है और जिसके बेटे ने भारत को 'जान बचाने वाला दोस्त' कहा है।
भारत को अब अंतरराष्ट्रीय कानूनी मानदंडों, अपनी विदेश नीति के सिद्धांतों और पड़ोसी देश के साथ संबंधों को ध्यान में रखते हुए इस जटिल प्रत्यर्पण अनुरोध पर फैसला करना होगा। सजीब वाजेद के भावुक बयान और बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति पर लगाए गए आरोपों ने इस मामले को केवल कानूनी नहीं, बल्कि एक गहरा राजनीतिक और मानवीय संकट बना दिया है।