रविवार की आधी रात जब पूरा देश गहरी नींद में था, तभी अचानक धरती हिलने लगी। भारतीय समयानुसार 12 मई 2025 को रात 2 बजकर 41 मिनट पर तिब्बत में एक तेज़ भूकंप आया, जिसने न केवल स्थानीय लोगों की नींद उड़ा दी, बल्कि उत्तर भारत तक भी अपने झटकों का असर छोड़ गया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, इस भूकंप की तीव्रता 5.7 रिक्टर स्केल मापी गई है और इसका केंद्र तिब्बत क्षेत्र में स्थित था।
इस भूकंप के झटके भारत के उत्तर प्रदेश और बिहार के कई हिस्सों में भी महसूस किए गए, जिससे लोगों में डर और घबराहट फैल गई। हालांकि राहत की बात यह रही कि अभी तक इस भूकंप से किसी भी प्रकार की जनहानि या भौतिक नुकसान की खबर सामने नहीं आई है।
कैसे हिली तिब्बत की धरती?
तिब्बत क्षेत्र भूकंप के लिहाज से एक संवेदनशील ज़ोन माना जाता है। यह क्षेत्र भारतीय और यूरेशियन टेक्टॉनिक प्लेटों के संगम पर स्थित है, जहां प्लेटों के आपसी टकराव के कारण अक्सर भूकंप की घटनाएं होती रहती हैं। बीती रात आया यह भूकंप भी इसी भूगर्भीय हलचल का नतीजा माना जा रहा है।
जैसे ही रात के सन्नाटे में अचानक धरती कांपने लगी, लोगों की नींद टूट गई। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा कि उनके बेड और खिड़कियां हिलने लगी थीं, जिससे उन्हें यह अहसास हुआ कि भूकंप आया है। कुछ इलाकों में तो लोग घबराकर अपने घरों से बाहर निकल आए और खुले मैदानों में समय बिताया।
भारत में भी दिखा असर: यूपी और बिहार हिले
हालांकि भूकंप का केंद्र तिब्बत में था, लेकिन इसकी तीव्रता इतनी थी कि इसके प्रभाव से उत्तर भारत के राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार में भी कंपन महसूस किया गया। खासकर नेपाल की सीमा से सटे जिलों जैसे कि गोरखपुर, बस्ती, देवरिया, सिद्धार्थनगर, पूर्वी चंपारण और सिवान में लोगों ने देर रात झटकों को महसूस किया।
इन झटकों की तीव्रता भले ही कम रही हो, लेकिन यह डराने के लिए काफी थी। कई स्थानों पर लोग अचानक नींद से जागकर बाहर निकल आए। कुछ स्थानों पर लोग सोशल मीडिया या न्यूज़ चैनलों के ज़रिए भूकंप के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते देखे गए।
कोई नुकसान नहीं, लेकिन डर कायम
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार, इस भूकंप से अब तक किसी जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है। तिब्बत में भी स्थानीय प्रशासन अलर्ट मोड पर है और किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए तैयारी की जा रही है।
फिर भी भूकंप की तीव्रता को देखते हुए वैज्ञानिकों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों ने सतर्कता बरतने की सलाह दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार के मध्यम दर्जे के भूकंप कभी-कभी बड़े भूकंपों का पूर्व संकेत भी हो सकते हैं, इसलिए लोगों को सतर्क रहने की ज़रूरत है।
पाकिस्तान में भी आया भूकंप
गौरतलब है कि तिब्बत में आए इस भूकंप से दो दिन पहले ही पाकिस्तान में भी भूकंप के तेज़ झटके महसूस किए गए थे। वहां भी लोग डरे-सहमे अपने घरों से बाहर निकल आए थे। ऐसा प्रतीत होता है कि हिमालयी क्षेत्र में टेक्टॉनिक प्लेटों की गतिविधि इन दिनों ज़्यादा सक्रिय हो गई है।
एक तरफ भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के कारण बॉर्डर पर वातावरण पहले ही गरमाया हुआ है, और दूसरी तरफ प्रकृति के इस तांडव ने लोगों की चिंता और बढ़ा दी है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
भूकंप विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक सामान्य भूगर्भीय घटना है, जो समय-समय पर हिमालयी क्षेत्र में होती रहती है। हालांकि 5.7 तीव्रता को ‘मध्यम’ श्रेणी में रखा जाता है, लेकिन अगर भूकंप की गहराई कम होती तो इससे ज़्यादा नुकसान हो सकता था।
प्रमुख वैज्ञानिक तथ्यों पर एक नजर:
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रिक्टर स्केल पर तीव्रता: 5.7
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भूकंप का केंद्र: तिब्बत क्षेत्र
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गहराई: अनुमानतः 10 से 20 किलोमीटर
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समय: भारतीय समयानुसार 2:41 AM, 12 मई 2025
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झटकों का प्रभाव: तिब्बत, उत्तर प्रदेश और बिहार तक महसूस किया गया
आपदा से निपटने की तैयारियां
भारत और तिब्बत दोनों क्षेत्रों में प्रशासनिक तंत्र ने आपात स्थिति से निपटने के लिए अलर्ट जारी कर दिया है। भारत में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) ने राज्य सरकारों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां भूकंप के झटके महसूस हुए।
लोगों से अपील की गई है कि वे किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल आधिकारिक सूचनाओं पर विश्वास करें। साथ ही, लोगों को यह भी सलाह दी गई है कि वे भूकंप के समय अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए निर्धारित गाइडलाइनों का पालन करें।
निष्कर्ष: एक चेतावनी, एक मौका
तिब्बत में आया यह भूकंप भले ही बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा पाया, लेकिन यह एक बार फिर यह याद दिलाने के लिए काफी है कि प्रकृति का कहर कब किस रूप में सामने आ जाए, यह कोई नहीं जानता। यह घटना सरकारों और आम जनता के लिए एक चेतावनी के रूप में भी काम कर सकती है, ताकि भविष्य में संभावित बड़ी आपदाओं से निपटने की तैयारियों को बेहतर किया जा सके।
भविष्य में किसी बड़ी आपदा से बचने के लिए हमें अभी से सावधानी और तैयारी दोनों रखनी होगी। भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं रोकी नहीं जा सकतीं, लेकिन सतर्कता और जागरूकता के ज़रिए इनके दुष्प्रभाव को जरूर कम किया जा सकता है।