मुंबई, 14 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। इंडियन आर्मी को भारत में बने आत्मघाती ड्रोन नागस्त्र-1 की पहली खेप मिल गई है। इन ड्रोन्स को नागपुर की कंपनी सोलर इंडस्ट्रीज की इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव लिमिटेड यूनिट ने बनाया है। सेना ने 480 लॉइटरिंग म्यूनिशन (आत्मघाती ड्रोन) का ऑर्डर दिया था। इनमें से 120 की डिलीवरी कर दी गई है। ड्रोन को नागस्त्र-1 नाम दिया गया है, जिसकी रेंज 30 किमी तक है। इसका एडवांस वर्जन दो किलो से ज्यादा गोला-बारूद ले जाने में सक्षम है। इसका इस्तेमाल दुश्मनों के ट्रेनिंग कैंप, ठिकानों और लॉन्च पैड पर हमला करने के लिए किया जाएगा, ताकि सैनिकों का जोखिम कम से कम हो। लॉइटरिंग म्यूनिशन (जिसे आत्मघाती ड्रोन या कामिकेज ड्रोन भी कहा जाता है) एक एरियल वैपन सिस्टम है। ये ड्रोन हवा में टारगेट के आसपास घूमते हैं और आत्मघाती हमला करते हैं। सटीक हमला इसके सेंसर पर निर्भर करता है। आत्मघाती ड्रोन को साइलेंट मोड में और 1,200 मीटर की ऊंचाई पर ऑपरेट किया जाता है, जिससे इसे पहचानना मुश्किल हो जाता है। इसका वजन 12 किलोग्राम है और यह 2 किलो का वारहेड ले जा सकता है। ये ड्रोन एक उड़ान में 60 मिनट तक हवा में रह सकते हैं। अगर टारगेट न मिले तो यह वापस भी आ जाएगा। पैराशूट के जरिए इसकी सॉफ्ट लैंडिंग करा सकते हैं।
आपको बता दे, चार महीने पहले अमेरिका ने भारत को 31 MQ-9B ड्रोन्स देने का फैसला किया था। इनकी कीमत करीब 3.99 अरब डॉलर (करीब 33 हजार करोड़) है। इन ड्रोन्स को चीन के साथ लगने वाली लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) और भारत की समुद्री सीमा में सर्विलांस और सिक्योरिटी बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। यह ड्रोन करीब 35 घंटे हवा में रह सकता है। यह पूरी तरह से रिमोट कंट्रोल से ऑपरेट होता है। पिछले साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान इस डील का ऐलान किया गया था। भारत थल, जल और वायु तीनों सेना के बेड़े में MQ-9B ड्रोन को तैनात करना चाहता है। इस ड्रोन को बनाने वाली कंपनी जनरल एटॉमिक्स, इसके मल्टीटैलेंटेड होने का दावा करती है। कंपनी का कहना है कि जासूसी, सर्विलांस, इन्फॉर्मेशन कलेक्शन के अलावा एयर सपोर्ट बंद करने, राहत-बचाव अभियान और हमला करने के लिए इसका इस्तेमाल हो सकता है। इस ड्रोन के दो वैरिएंट स्काई गार्डियन और सिबलिंग सी गार्डियन हैं। भारत यह ड्रोन दो वजहों से खरीदना चाह रहा है। पहली- LAC से लगे इलाके में चीन को भनक लगे बिना निगरानी करने के लिए। दूसरा- साउथ चाइना सी में चीन की घुसपैठ को रोकने के लिए।