सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को एक महत्वपूर्ण नोटिस जारी किया है। यह नोटिस 2023 के विधानसभा चुनावों में वरुणा निर्वाचन क्षेत्र से उनकी जीत को चुनौती देने वाली याचिका पर दिया गया है। जस्टिस विक्रम नाथ की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले में दाखिल याचिका पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से जवाब मांगा है।
चुनावी वादे और 'भ्रष्ट आचरण' पर सवाल
याचिका की शुरुआत में, अदालत इस मामले को सुनने के पक्ष में नहीं दिखी, लेकिन तब कोर्ट को बताया गया कि एक समान कानूनी मुद्दा - कि क्या चुनाव से पहले किए गए वादे भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आते हैं - पहले से ही एस सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार मामले में तीन जजों की बेंच के समक्ष लंबित है। इसी दलील के बाद, और यह देखते हुए कि आज ही जस्टिस एमएम सुंदरेश की अगुवाई वाली एक अन्य बेंच ने एक समान मामले में नोटिस जारी किया है, जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने भी मौजूदा याचिका पर प्रतिवादी (सिद्धारमैया) को नोटिस जारी कर दिया।
सुनवाई के दौरान, जस्टिस विक्रम नाथ ने एक मौलिक सवाल उठाया: "चुनावी घोषणापत्र जारी करना भ्रष्ट आचरण कैसे हो सकता है?" यह टिप्पणी इस बात को रेखांकित करती है कि कोर्ट चुनावी वादों की प्रकृति को लेकर विस्तृत कानूनी स्पष्टीकरण चाहती है।
हाई कोर्ट से खारिज हुई थी अर्जी
इस मामले में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने चुनावी अनियमितताओं में लिप्तता दिखाई। गौरतलब है कि याचिकाकर्ता की अर्जी को पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।
याचिकाकर्ता के आरोपों का मुख्य आधार कांग्रेस पार्टी द्वारा कर्नाटक की जनता को दी गईं 'पांच गारंटियां' हैं। याचिकाकर्ता का तर्क है कि इस प्रकार के मुफ्त उपहार (फ्रीबी) वादे भ्रष्ट आचरण के दायरे में आते हैं।
कांग्रेस की पांच गारंटियां:
याचिका में जिन पांच गारंटियों का उल्लेख किया गया है, वे निम्न प्रकार हैं:
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गृह ज्योति: सभी घरों को 200 यूनिट मुफ्त बिजली।
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गृह लक्ष्मी: प्रत्येक परिवार की महिला मुखिया को हर महीने ₹2000।
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अन्न भाग्य: बीपीएल परिवारों के प्रत्येक सदस्य को प्रतिमाह 10 किलोग्राम खाद्यान्न।
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युवा निधि: बेरोजगार स्नातकों को दो वर्षों तक हर महीने ₹3000 और बेरोजगार डिप्लोमा धारकों को दो वर्षों तक हर महीने ₹1500।
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शक्ति: राज्यभर में नियमित केएसआरटीसी-बीएमटीसी बसों में सभी महिलाओं को मुफ्त यात्रा।
याचिकाकर्ता ने विशेष रूप से महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा जैसी योजना (शक्ति योजना) को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए आरोप लगाया कि यह पुरुषों के साथ भेदभाव करती है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि सिद्धारमैया का चुनाव अमान्य घोषित किया जाए और उन्हें छह वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाए।