मुंबई, 21 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर आग और कैश मिलने के मामले में नया मोड़ आया। दिल्ली फायर ब्रिगेड चीफ अतुल गर्ग का कहना है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के घर आग बुझाने के दौरान फायर ब्रिगेड की टीम को कोई नकदी नहीं मिली। गर्ग के मुताबिक 14 मार्च की रात 11.35 बजे लुटियंस दिल्ली में बने जज के बंगले पर आग लगने की खबर मिली। टीम जब वहां पहुंची तो आग स्टोर रूम में लगी थी, जिसे बुझाने में 15 मिनट लगे। इसके तुरंत बाद हमने पुलिस को खबर दी। टीम को वहां कोई नकदी नहीं मिली थी। इससे ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर बयान जारी किया। जिसमें कहा गया कि कैश मिलने की गलत सूचनाएं और अफवाहें फैलाई जा रही हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आज CJI संजीव खन्ना को प्राइमरी रिपोर्ट सौंपेंगे। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। पूरे घटनाक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा का वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने बयान में साफ किया कि जज के बंगले से कैश मिलने की खबर और उनके तबादले का आपस में कोई संबंध नहीं है।
दरअसल, यह पूरा मामला तब सामने आया जब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले पर आग लगी थी। आग बुझाने गई फायर ब्रिगेड की टीम को कैश मिला था। इधर, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अब जस्टिस वर्मा के वापस इलाहाबाद ट्रांसफर का विरोध कर रहा है। एसोसिएशन का कहना है कि कॉलेजियम के फैसले से ये सवाल उठ रहा है कि क्या हम कूड़ादान हैं। हाईकोर्ट जज के घर से कैश मिलने की खबरें सामने आने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने प्राइमरी जांच शुरू कर दी थी। इसके बाद 20 मार्च की शाम सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने भी मीटिंग की। दिल्ली हाईकोर्ट चीफ जस्टिस डी के उपाध्याय ने सबूत और सूचना जुटाने के लिए आंतरिक जांच प्रक्रिया शुरू की थी। इसकी रिपोर्ट CJI संजीव खन्ना को सौंपी जाएगी। कॉलेजियम इस रिपोर्ट की जांच करेगा, उसके बाद आगे कोई एक्शन लिया जाएगा। हालांकि, जस्टिस वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर करने का प्रस्ताव अलग से रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक ट्रांसफर प्रपोजल की जांच 20 मार्च को कॉलेजियम ने की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के सलाहकार जजों, जस्टिस वर्मा के अलावा संबंधित हाईकोर्ट्स के चीफ जस्टिस को लेटर भेजे गए थे। कोर्ट ने कहा- इन लोगों से मिली प्रतिक्रियाओं की जांच की जाएगी और उसके बाद कॉलेजियम एक प्रस्ताव पारित करेगा।
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने इस मुद्दे को सदन में उठाते हुए ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी पर चर्चा की मांग की। राज्यसभा के चेयरमैन और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है और वह इस मुद्दे पर एक स्ट्रक्चर्ड डिस्कशन करवाएंगे। सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने कहा, मुझे मामले की बारीकियों की जानकारी नहीं है, लेकिन निश्चित रूप से न्यायपालिका के अंदर भ्रष्टाचार का मुद्दा बहुत गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार करे कि नियुक्ति प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी होना चाहिए।