कुछ ही दिन पहले यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर इटावा में बन रहे केदारनाथ धाम मंदिर का एक वीडियो साझा किया। वीडियो में निर्माणाधीन केदारेश्वर मंदिर स्पष्ट दिखाई दे रहा था, जिसमें बिजली कड़कने की तेज आवाजें भी सुनाई दे रही थीं। जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ, उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहितों और धार्मिक समुदाय ने इसे आस्था का अपमान बताया और इसका विरोध करना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि सपा नेता अखिलेश यादव के संरक्षण में इटावा में ऐसा मंदिर बनाया जा रहा है जो केदारनाथ धाम की नकल है, जो श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ है।
उत्तराखंड के पुरोहितों के इस विरोध ने राजनीतिक और धार्मिक हलकों में हलचल मचा दी है। इसके बाद उत्तराखंड सरकार की भी प्रतिक्रिया आई है, जिसमें वे इस मामले को गंभीरता से देख रही है। दरअसल, उत्तराखंड की धामी सरकार ने पिछले साल 18 जुलाई को एक कैबिनेट प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें चारधाम धामों — यमुनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ — के नाम और स्वरूप के दुरुपयोग पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया था। इस प्रस्ताव के तहत यदि कोई इन धामों के नाम या स्वरूप की नकल करता है और मंदिर बनाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह कानून अखिलेश यादव पर भी लागू हो सकता है, क्योंकि इटावा में बन रहा मंदिर हूबहू केदारनाथ धाम जैसा दिखता है।
बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने साफ कहा है कि केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे धाम हिमालय की गोद में बसे हुए हैं और इनका खास धार्मिक महत्व है। किसी और जगह हूबहू मंदिर बनाना श्रद्धालुओं की आस्था का अपमान और नकल करने जैसा है। उन्होंने बताया कि वे विधिक राय लेने के बाद प्रदेश सरकार से इस पर सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे। आचार्य संतोष त्रिवेदी ने चेतावनी दी कि यदि इटावा में केदारनाथ नाम से बन रहे मंदिर का निर्माण नहीं रोका गया, तो तीर्थ पुरोहित समाज अखिलेश यादव के घर धरना देने को मजबूर होगा। चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने इसे श्रद्धा का अपमान और नकल करार दिया।
दरअसल, यह विवाद नया नहीं है। दो साल पहले दिल्ली के बुराड़ी में अगस्त 2024 में एक शिव मंदिर का नाम केदारनाथ धाम रखा गया था, जिससे भी काफी विरोध हुआ था। उस समय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री से बात कर नाम में बदलाव कराया था। अब मंदिर का नाम ‘श्री केदार मंदिर, दिल्ली’ कर दिया गया था ताकि ‘धाम’ शब्द का दुरुपयोग न हो।
इटावा के इस केदारेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कार्य साल 2021 से चल रहा है। यह मंदिर लगभग हूबहू उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर जैसा है। इसे बनाने में दक्षिण भारत के इंजीनियर और वास्तुकार की टीम लगी हुई है। इस मंदिर की अनुमानित लागत लगभग 40 से 50 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इटावा में सफारी पार्क के सामने स्थित यह मंदिर यूपी के सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के संरक्षण में बन रहा है।
इस पूरे विवाद में धार्मिक आस्था और कानून की टक्कर साफ नजर आ रही है। उत्तराखंड की सरकार के कड़े रुख और पुरोहितों के विरोध के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और क्या अखिलेश यादव को इस विवाद से बचने के लिए कोई समाधान निकालना पड़ता है।