नई दिल्ली: बीती रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर अफरातफरी का माहौल देखने को मिला। प्लेटफार्म नंबर 12 और 13 पर भारी भीड़ जमा हो गई, जिसके चलते भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। स्टेशन पर मौजूद लोग भयभीत हो गए और कई यात्रियों को अपने परिवार और बच्चों की चिंता सताने लगी। कुछ ने तो इस दृश्य की तुलना महाकुंभ के दौरान मची भगदड़ से कर दी। हालांकि भारतीय रेलवे ने इन दावों का खंडन किया और कहा कि 'सब कुछ नियंत्रण में था।'
लेकिन सवाल यह है कि ऐसा माहौल आखिर बना क्यों? दिल्ली पुलिस और रेलवे द्वारा की गई शुरुआती जांच में सामने आया कि स्टेशन पर पांच प्रमुख ट्रेनें— शिव गंगा एक्सप्रेस, स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस, जम्मू राजधानी एक्सप्रेस, लखनऊ मेल, और मगध एक्सप्रेस— अपने निर्धारित समय से काफी देरी से चल रही थीं। इसी वजह से हजारों यात्री एक ही समय में प्लेटफॉर्म पर इकट्ठा हो गए और भीड़ बेकाबू हो गई।
किस ट्रेन में कितनी देरी?
रेलवे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पाँचों ट्रेनों की देरी ने यात्रियों की धैर्य की परीक्षा ले ली। स्थिति कुछ इस प्रकार रही:
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शिव गंगा एक्सप्रेस को रात 8:05 बजे रवाना होना था, लेकिन यह ट्रेन रात 9:20 बजे तक रुकी रही।
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स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस सुबह 9:15 बजे रवाना होने वाली थी और प्लेटफॉर्म पर पहले से खड़ी थी, जिससे यात्री लगातार प्लेटफॉर्म पर बने रहे।
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जम्मू राजधानी एक्सप्रेस सुबह 9:25 बजे रवाना होने वाली थी, लेकिन इसमें भी देरी हो गई।
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लखनऊ मेल एक्सप्रेस को सुबह 10 बजे रवाना होना था, पर यह भी समय पर नहीं आ सकी।
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सबसे खराब स्थिति मगध एक्सप्रेस की रही। इसे सुबह 9:05 बजे जाना था, लेकिन ट्रेन अभी तक किसी भी प्लेटफॉर्म पर नहीं पहुंची थी।
इन सभी कारणों से प्लेटफार्म नंबर 12 और 13 पर यात्रियों की संख्या बेतहाशा बढ़ गई, जिससे भगदड़ जैसा दृश्य बन गया।
रेलवे का आधिकारिक बयान: कोई भगदड़ नहीं, केवल भीड़ थी
रेलवे ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि मीडिया में फैल रही भगदड़ की खबरें भ्रामक हैं। रेलवे प्रवक्ता ने बताया कि,
“कोई भगदड़ नहीं मची थी। ट्रेनों के आने और रवाना होने के दौरान स्वाभाविक रूप से भीड़ बढ़ गई थी, लेकिन सभी ट्रेनें प्लेटफॉर्म पर आईं और यात्रियों को लेकर रवाना हो चुकी हैं। भीड़ अब नियंत्रण में है।”
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने पिछली दुर्घटनाओं से सीख ली है और नई व्यवस्थाएं लागू की हैं ताकि ऐसी स्थिति फिर से न बने।
पिछली दुर्घटना से सबक और नई व्यवस्थाएं
15 फरवरी 2025 की वह भयावह घटना कोई नहीं भूला, जब कुंभ मेले में जाने वालों की भीड़ ने नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ मचा दी थी। उस हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद रेलवे ने कई सुधार किए हैं:
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अजमेरी गेट की ओर अस्थायी होल्डिंग एरिया बनाया गया है, जहां यात्रियों को अलग-अलग श्रेणियों में रोक कर प्लेटफॉर्म पर भेजा जाता है।
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आरक्षित कोच और सामान्य कोच के यात्रियों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार बनाए गए हैं।
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आरपीएफ और रेलवे स्टाफ की संख्या बढ़ा दी गई है ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।
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प्लेटफॉर्म पर डिजिटल डिस्प्ले और एनाउंसमेंट सिस्टम को बेहतर किया गया है ताकि यात्री बार-बार पूछताछ न करें और भीड़ न बढ़े।
रेलवे का दावा है कि इन उपायों से भीड़ नियंत्रण में रहता है, लेकिन बीती रात की घटनाएं बताती हैं कि समस्याएं अब भी बरकरार हैं।
यात्रियों की आपबीती
भीड़ में फंसे कई यात्रियों ने अपनी कहानी साझा की। लखनऊ जा रहे रामपाल सिंह ने बताया,
"मैं रात 7 बजे ही आ गया था, लेकिन जब तक ट्रेन आई, तब तक प्लेटफॉर्म पर पैर रखने की जगह नहीं थी। बच्चे घबरा रहे थे, सांस लेना भी मुश्किल हो गया था।"
वहीं, रीना देवी, जो अपने परिवार के साथ मगध एक्सप्रेस पकड़ने आई थीं, ने कहा,
"कई घंटे इंतजार किया। कोई जानकारी नहीं मिल रही थी। लोग चिल्ला रहे थे, धक्का-मुक्की हो रही थी। डर लग रहा था कि कहीं कुछ गलत न हो जाए।"
आखिर कब सुधरेगी स्थिति?
रेलवे लगातार दावे कर रहा है कि व्यवस्थाएं बेहतर की गई हैं। लेकिन समय पर ट्रेनें न चलना और सूचना का अभाव ऐसी स्थिति को बार-बार पैदा करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रेन शेड्यूलिंग में सुधार, रीयल टाइम अपडेट्स और भीड़ नियंत्रण तकनीक को और प्रभावी बनाने की जरूरत है।
इसके अलावा यात्रियों को डिजिटल माध्यमों से सूचित करना, मोबाइल अलर्ट्स और एप्स का व्यापक प्रचार-प्रसार करना भी जरूरी है।
निष्कर्ष
बीती रात की घटनाओं ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या रेलवे की व्यवस्थाएं भीड़ को संभालने के लिए पर्याप्त हैं? दिल्ली पुलिस और रेलवे प्रशासन का दावा है कि कोई भगदड़ नहीं मची, लेकिन भीड़ का वह दृश्य यात्रियों के अनुभव को झुठला नहीं सकता। जरूरत है कि रेलवे अपनी व्यवस्थाओं को और मजबूत करे ताकि भविष्य में कोई बड़ा हादसा टाला जा सके। यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए, खासकर तब जब स्टेशन पर एक साथ कई महत्वपूर्ण ट्रेनें रवाना होनी हों।