भारत सरकार ने पिछले चार वर्षों में किसान उत्पादक संगठनों (FPO - Farmer Producer Organizations) के गठन और संवर्धन को लेकर जो प्रयास शुरू किए थे, वे अब सार्थक परिणाम दे रहे हैं। केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा एकत्रित आंकड़ों के मुताबिक, देश में लगभग 10,000 से अधिक FPOs बनाए जा चुके हैं और इनमें से करीब 11 फीसदी यानी लगभग 1,100 FPOs ने 1 करोड़ रुपये का कारोबार पार कर लिया है।
FPO योजना की उपलब्धियां और व्यापार में वृद्धि
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 1,100 FPO में से 340 ने तो 10 करोड़ रुपये से भी अधिक का कारोबार हासिल किया है। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि छोटे और सीमांत किसानों के समूह अब न केवल अपने उत्पादन को बेहतर तरीके से बाजार तक पहुंचा पा रहे हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी मजबूत हो रहे हैं। इससे किसानों की आमदनी में वृद्धि हो रही है और वे अपने कृषि व्यवसाय को एक व्यवस्थित रूप दे पा रहे हैं।
डिजिटल प्लेटफार्मों का महत्व
FPOs के संचालन और उनके व्यवसायिक विस्तार में डिजिटल तकनीकों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC), इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) और सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GEM) जैसे डिजिटल प्लेटफार्मों के जरिये ये किसान उत्पादक संगठन सीधे ग्राहकों और बड़े व्यापारिक नेटवर्क से जुड़ पा रहे हैं।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सरकार अब इन हाई परफॉर्मेंस करने वाले FPOs को पुरस्कृत करने की योजना बना रही है, ताकि ऐसे संगठनों को प्रोत्साहन मिल सके और अन्य FPOs भी इससे प्रेरित होकर बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
प्रधानमंत्री मोदी की पहल और योजना का बजट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 29 फरवरी 2020 को 10,000 किसान उत्पादक संगठनों के गठन और संवर्धन के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत 2027-28 तक 6,865 करोड़ रुपये के बजट के साथ FPOs को वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।
इस योजना के अंतर्गत जुड़ने वाले हर नए FPO को पांच साल की अवधि के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। प्रत्येक FPO को पहले तीन वर्षों के लिए प्रबंधन लागत के रूप में 18 लाख रुपये की फाइनेंशियल मदद भी दी जाती है। यह सहायता संगठन के सुचारू संचालन और बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करती है।
FPO योजना क्या है?
किसान उत्पादक संगठन (FPO) असल में किसानों के समूह होते हैं जो मिलकर कृषि उत्पादों के उत्पादन, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और बिक्री जैसे कार्यों को संभालते हैं। ये संगठन कंपनी अधिनियम के भाग IXA के तहत या संबंधित राज्यों के सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत होते हैं।
FPO का उद्देश्य किसानों को उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य दिलाना, खरीद-बिक्री के लिए एक मजबूत मंच प्रदान करना और कृषि व्यवसाय में उनकी भागीदारी को बढ़ाना है। इससे छोटे और सीमांत किसानों को एकजुट होकर सामूहिक शक्ति मिलती है, जो उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करता है।
सरकार का सहयोग: SFAC का रोल
भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता विभाग ने लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ (SFAC) को FPO के गठन और राज्य सरकारों के सहयोग का जिम्मा सौंपा है। SFAC किसानों को प्रशिक्षण, फंडिंग और अन्य आवश्यक सहायता प्रदान करता है ताकि वे अपने उत्पादक संगठनों को प्रभावी तरीके से संचालित कर सकें।
SFAC के मार्गदर्शन में किसान उत्पादक संगठन अधिक संगठित होकर बाजार की चुनौतियों से निपट रहे हैं और उनकी उत्पादकता में सुधार हो रहा है।
FPOs के फायदे
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सशक्तिकरण: किसानों को संगठित करने से उनकी खरीद और बिक्री में बेहतर सौदेबाजी संभव होती है।
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बाजार तक पहुंच: FPOs के माध्यम से किसान सीधे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच सकते हैं।
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आर्थिक लाभ: समूह के रूप में काम करने से लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है।
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तकनीकी सहायता: डिजिटल प्लेटफार्मों के उपयोग से किसानों को बेहतर तकनीकी और बाजार सूचना मिलती है।
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सरकारी सहायता: FPOs को वित्तीय मदद, प्रशिक्षण और संसाधनों का लाभ मिलता है।
भविष्य की संभावनाएं
सरकार की इस योजना के तहत जैसे-जैसे FPOs की संख्या बढ़ेगी और वे आर्थिक रूप से मजबूत होंगे, किसान समुदाय की समग्र आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। डिजिटल प्लेटफार्मों के सहयोग से FPOs अपनी पहुंच और व्यापार के दायरे को और बढ़ा सकेंगे।
सरकार की योजना है कि हाई परफॉर्मेंस वाले FPOs को विशेष प्रोत्साहन देकर उनकी सफलता को उदाहरण बनाया जाए, जिससे देश के अन्य किसान उत्पादक संगठन भी प्रेरित हों और वे अपने स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करें।
निष्कर्ष
केंद्र सरकार की FPO योजना देश के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। 10,000 से अधिक FPOs के गठन और उनके आर्थिक रूप से सफल होने के पीछे सरकार की ठोस योजना और डिजिटल प्लेटफार्मों का सहयोग है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी, उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।