भारत के लिए आने वाला साल आर्थिक दृष्टिकोण (Economic Outlook) से काफी बेहतर होने की उम्मीद है. विभिन्न आर्थिक कारकों के समर्थन से, 2026 में देश का उपभोग संवेग (Consumption Momentum) मजबूत बना रहेगा. मुख्य रूप से कम मुद्रास्फीति (Inflation), GST कटौती का दीर्घकालिक प्रभाव, और संभावित रूप से इनकम-टैक्स तथा पॉलिसी रेट्स में ढील जैसे कदम इस ग्रोथ को सपोर्ट करेंगे.
एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट साक्षी गुप्ता ने ईटी (ET) की एक रिपोर्ट में कहा, "हाल के रुझानों को देखते हुए, हम कंजम्पशन मोमेंटम के मामले में 2026 में काफी मजबूत स्थिति में आ रहे हैं, जो आगे की ग्रोथ के लिए एक अच्छा आधार तैयार करता है."
कम महंगाई और आय में सुधार
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (India Ratings & Research) के एसोसिएट डायरेक्टर पारस जसराय के मुताबिक, उपभोग में वृद्धि का मुख्य कारण कम महंगाई और सैलरी में सुधार है.
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रिकॉर्ड निचली महंगाई: अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर $0.25\%$ के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई थी.
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औसत गिरावट: 2025 के पहले 10 महीनों में यह औसतन $2.5\%$ रही, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह $4.9\%$ थी.
कम महंगाई दर का सीधा फायदा यह होता है कि लोगों की वास्तविक क्रय शक्ति (Real Purchasing Power) बढ़ जाती है, जिससे वे अधिक खर्च करने में सक्षम होते हैं.
मिडिल-इनकम और अमीर खरीदारों का योगदान
नोमुरा (Nomura) में इंडिया के इकोनॉमिस्ट और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, ऑरोदीप नंदी ने बताया कि कम मुद्रास्फीति, जिसके 2026 में भी बने रहने की उम्मीद है, घरों की असली कमाई (Real Income) और कंपनियों के मुनाफे दोनों को सपोर्ट करेगी.
उन्होंने कहा कि इससे मिडिल-इनकम लोगों की खरीदारी बढ़ेगी. हालांकि, उपभोग की तेज ग्रोथ अमीर (Affluent) खरीदारों की तरफ से आना जारी रहेगी. यह दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था के अलग-अलग वर्ग अपने आय स्तर के अनुसार उपभोग में योगदान देंगे.
निजी खपत का मजबूत प्रदर्शन
जुलाई-सितंबर तिमाही में देश में निजी खपत (Private Consumption) तीन तिमाहियों के सबसे ऊंचे $7.9\%$ पर पहुंच गई, जबकि पिछली तिमाही में यह $7\%$ थी. वित्त वर्ष 2026 (FY26) की पहली छमाही में यह $7.5\%$ थी.
केयरएज रेटिंग्स (CareEdge Ratings) की चीफ इकोनॉमिस्ट रजनी सिन्हा को उम्मीद है कि यह रफ्तार अच्छी बनी रहेगी, हालांकि पिछले साल के उच्च आधार प्रभाव (High Base Effect) के कम होने और त्योहारों के बाद मांग में सामान्य गिरावट के कारण H2FY26 में निजी खपत लगभग $7.3\%$ और FY27 में $7\%$ पर आ सकती है.
ग्रामीण और शहरी खपत पर ध्यान
इकोनॉमिस्ट्स ने इस बात पर जोर दिया है कि उपभोग की गति को बनाए रखने के लिए ग्रामीण (Rural) और शहरी (Urban) दोनों बाजारों की सेहत पर ध्यान देना होगा.
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ग्रामीण सपोर्ट: ग्रामीण इलाकों में वेतन बढ़ने और खेती के अच्छे उत्पादन की उम्मीद है, जिससे उपभोग को बल मिलेगा.
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शहरी चुनौती: क्वांटइको रिसर्च की इकोनॉमिस्ट युविका सिंघल ने कहा कि नौकरी बनने और इनकम की सुरक्षा (Income Certainty) पर अधिक ध्यान देना होगा, क्योंकि ये शहरी कंजम्पशन मोमेंटम के लिए बेहद जरूरी हैं.
शहरी खपत को भी बड़े स्तर पर बढ़ने की जरूरत है. वर्तमान में प्रीमियम सेगमेंट में अच्छी ग्रोथ दिख रही है, लेकिन रोजमर्रा की चीज़ों (FMCG) से लेकर अन्य बड़े प्रोडक्ट्स तक में उपभोग को व्यापक स्तर पर बढ़ने की आवश्यकता है.
कुल मिलाकर, कम महंगाई और पॉलिसी सपोर्ट के चलते 2026 में भारत की आर्थिक वृद्धि मुख्य रूप से घरेलू खपत पर आधारित रहने की संभावना है.