फिल्म : शर्माजी की बेटी
डायरेक्टर : ताहिरा कश्यप
कास्ट : दिव्या दत्ता, साक्षी तंवर, सैयामी खेर, शारिब हाशमी
ड्यूरेशन : 1 घंटा 55 मिनट
अभी कुछ समय पहले किरण राव की फिल्म 'लापता लेडीज' ने ऑडियंस का दिल जीता। फिल्म में कैसे दो महिलाओं की कहानी से समाज में औरतों के आगे बढ़ने के सन्देश को सबके साथ शेयर किया गया और अब ताहिरा कश्यप भी अपनी कहानी के साथ ऑडियंस को बताने आयी है कि औरतों को आगे बढ़ाने के लिए मर्दों की आलोचना करना नहीं होता।
फिल्म की कहानी तीन औरतों की है जिनका उपनाम शर्मा है। वे स्वतंत्र सोच वाली महिलाएं हैं, जिनकी अपनी आवाज़ है। उनकी एकमात्र बाधा - वे लोग जिन्हें वे अपना कहती हैं।वर्किंग वुमन ज्योति शर्मा (साक्षी तंवर) की एक बेटी (वंशिका तपारिया) है जो उसे अपने करियर को खुद से ज़्यादा प्राथमिकता देने के लिए नफरत करती है। पटियाला की रहने वाली होम मेकर किरण शर्मा (दिव्या दत्ता), जो मुंबई की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में फंसी हुई है, घर को संभालने में सबसे अच्छी है, लेकिन घर में रहने वाले लोग उसके लिए मुश्किल से एक मिनट निकाल पाते हैं। क्रिकेट की दीवानी तन्वी शर्मा (सैयामी खेर) जानती है कि अपने विरोधियों को अपने बल्ले से कैसे मुश्किल में डालना है, लेकिन जब उसका प्रेमी उसे और ज़्यादा "लड़की जैसा" बनाने की कोशिश करता है तो वह हैरान रह जाती है।
साक्षी तंवर ने ज्योति के रूप में शानदार अभिनय किया है, जिसमें उन्होंने सामाजिक मानदंडों और अपनी इच्छाओं के बीच फंसी एक महिला की बारीकियों को बखूबी दर्शाया है। स्वाति के रूप में वंशिका तपारिया ने भी समाज में युवा लड़कियों के सामने आने वाली मुश्किलों को बहुत बारीकी से स्क्रीन पर दिखाया है । दिव्या दत्ता ने किरण के किरदार को बहुत प्रभावशाली तरीके से निभाया है। साक्षी के सुरक्षित, सहायक पति की भूमिका में शारिब हाशमी आप सबका दिल जीत लेंगे। सैयामी ने भी अपने रोल के साथ पूरी ईमानदारी दिखाई है।
फिल्म में युवा लड़कियों की पहचान और समस्याओं को बहुत सुंदरता से समझाया गया है। फिल्म में मां-बेटी के रिश्ते और उनकी मुश्किलें भी दिखाई गई हैं। यह फिल्म भारतीय परिवारों को गहराई से समझाने की कोशिश करती है।
ताहिरा ने अपने हर किरदार को बहुत मेहनत के साथ लिखा है। फिल्म का हर किरदार आपको कही न कही अपने जैसा लगेगा। उनकी राइटिंग की तारीफ बनती है। अपनी पहली फिल्म से ही उन्होंने इंडस्ट्री में काफी मजबूत कदम रखा है। उनके निर्देशन में एक आत्मविश्वास नजर आ रहा है।
फिल्म का म्यूजिक काफी टचिंग और इमोशनल है। कुछ सीन्स आपको रोने पर मजबूर कर देंगे।
'शर्माजी की बेटी' का संदेश एक हैप्पी एंडिंग देना नहीं है बल्कि दर्शकों को महिलाओं से प्यार करना, उनका सम्मान करना और उनके साथ समान और योग्य व्यवहार करना याद दिलाना है जिसमे ताहिरा पूरी तरह से कामयाब हुई है।
यह फिल्म आप अपने पूरे परिवार के साथ आज ही प्राइम वीडियो पर जरूर देखें।