फिल्म रिव्यू Qaid - No Wayyy Out
सिनोप्सिस : ' क़ैद - नो वे आउट ' एक बहुत ही मार्मिक और मनोरंजक फिल्म है जो जिगर की ज़िन्दगी के इर्द गिर्द घूमती है। जिगर एक नौजवान भारत से लंदन जाता है अपनी आज़ादी की उम्मीद में और यहाँ उसका एक ब्रिटिश एशियाई प्रोफेशनल मिहिर के साथ उतार चढाव भरा रिश्ता कायम हो जाता है। कहानी अगर बढ़ती है और जिगर अपने आप को मिहिर के साथ एक अपमानजनक रिश्ते में फंसा हुआ पाता है उस से बाहर निकलने की यह कहानी है।
क़ैद - नो वे आउट' - प्यार, दुर्व्यवहार और उस से बाहर निकलने की एक मनोरंजक कहानी
डायरेक्टर - सोनिया कोहली
स्टाररिंग : मोहिंदर कोहली, ताई खान , आशीष दत्ता, अश्विनी किंहिकार, खालिद महमूद, सोनिया गोस्वामी
रन टाइम : 2 घंटे 30 मिनट
प्लेटफार्म : थिएटर
रेटिंग - 3
सिनोप्सिस : ' क़ैद - नो वे आउट ' एक बहुत ही मार्मिक और मनोरंजक फिल्म है जो जिगर की ज़िन्दगी के इर्द गिर्द घूमती है। जिगर एक नौजवान भारत से लंदन जाता है अपनी आज़ादी की उम्मीद में और यहाँ उसका एक ब्रिटिश एशियाई प्रोफेशनल मिहिर के साथ उतार चढाव भरा रिश्ता कायम हो जाता है। कहानी अगर बढ़ती है और जिगर अपने आप को मिहिर के साथ एक अपमानजनक रिश्ते में फंसा हुआ पाता है उस से बाहर निकलने की यह कहानी है।
रिव्यु : सोनिया कोहली की फिल्म 'कैद :नो वे आउट ' एक बहुत ही शक्तिशाली और विचारोत्तेजक कहानी है जो प्यार, दुर्व्यवहार और कैसे उस से बाहर निकलने को दर्शाती है। फिल्म को बहुत सुंदरता के साथ पिरोया गया है जिस से वह शुरू से अंत तक ऑडियंस को बांध कर रखती है।
फिल्म का सबसे मजबूत पॉइंट है करैक्टर डेवलपमेंट। जिगर और मिहिर दोनों के कैरेक्टर को बहुत ही गहराई और सूक्ष्मता के साथ दर्शाया है जिसकी वजह से उनका रिश्ता और उनके रिश्ते में आयी मुश्किलों को आप समझ सकते है और उनसे रीलेट कर पाते हैं। मोहिंदर कोहली ने जिगर के रूप में एक शानदार प्रदर्शन दिया है।उन्होंने कैरेक्टर की कमजोरी और ताकत दोनों को बखूबी निभाया है। ताई खान मिहिर के रूप में लाजवाब है। उन्होंने अपने कैरेक्टर के दुरुपयोग की ओर अग्रसर होने को भयावह यथार्थवाद के साथ चित्रित किया है।
फिल्म में घरेलू दुर्व्यवहार का चित्रण बहुत खूबसूरती से किया गया है और यह एक ऐसे मुद्दे पर आवाज उठाता है जिसके बारे में हमारे समाज में बात नहीं की जाती।सोनिया कोहली ने बहुत नाजुकता के साथ इस विषय को संभाला है। उन्होंने पीड़ित और अपराधी दोनों पर दुर्व्यवहार के प्रभाव को दिखाया है।
फिल्म कई बार थोड़ी धीमी हो जाती है खास तौर पर पहले हाफ में लेकिन फिल्म की बढ़ती टेंशन और सस्पेंस ऑडियंस को हमेशा बांध कर रखती है। फिल्म का क्लाइमेक्स काफी इंटेंस है और जिगर की कहानी को एक मजबूत अंत मिलता है।
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर और शक्तिशाली ट्रैक फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाते हैं और इस सिनेमेटिक अनुभव में गहराई लेकर आते हैं।
वर्डिक्ट : 'क़ैद - नो वे आउट' अपनी सम्मोहक कहानी, सशक्त प्रदर्शन और महत्वपूर्ण संदेश के लिए जरूर देखि जानी चाहिए। सोनिया कोहली ने एक ऐसी फिल्म बनाई है जो मनोरंजक और विचारोत्तेजक दोनों है, जो दर्शकों पर स्थायी प्रभाव छोड़ती है।