अल्पसंख्यक मंत्रालय को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ दिनों से ऐसा दावा किया जा रहा है कि इसे जल्द खत्म कर दिया जाएगा और इसका विलय समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में किया जाएगा । इस बात को लेकर केंद्र सरकार मसौदे को लाने की तैयार कर रही है । हालांकि, अभी तक इस दावे को लेकर किसी विभाग या मंत्रालय द्वारा कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई हैं । रिपोर्ट का कहना है कि भाजपा की अगुवाई में एनडीए सरकार का मानना है कि अल्पसंख्यक मामलों के लिए एक स्वतंत्र मंत्रालय की कोई जरूरत नहीं है । उनका मानना है कि यूपीए की मनमोहन सरकार ने तुष्टिकरण की राजनीति के कारण वर्ष 2006 में एक अलग मंत्रालय का गठन किया था मगर अब इस खत्म कर देना चाहिए ।
मगर जब इस मामले की जांच पीआईबी फैक्ट चेक टीम ने की तो पाया कि ये सूचना पूरी तरह से फर्जी हैं ओर केंद्र सरकार की तरफ से इसके बारे में कोई भी प्रस्ताव पास नहीं किया गया हैं । यह सूचना पूरी तरह से फर्जी बताई गई है । इसके आगे पीआईबी की टीम ने कहा है कि, यह खबरे सामाज में भाईचारे को खत्म करती हैं और इससे देश का माहौल खराब होता है तो आपको ऐसी किसी भी खबर पर आंख मूंद कर भरोस नहीं करना चाहिए ।