25 January 2025 का दैनिक पंचांग / Aaj Ka Panchang: 25 जनवरी 2025 को माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। इस तिथि पर ज्येष्ठा नक्षत्र और ध्रुव योग का संयोग रहेगा। दिन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो शनिवार को अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:12-12:54  मिनट तक रहेगा। राहुकाल 09:53-11:13 मिनट तक है। चंद्रमा वृश्चिक राशि में संचरण करेंगे।
🌕🌞  श्री सर्वेश्वर पञ्चाङ्गम् 🌞 🌕
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🚩🔱 धर्मो रक्षति रक्षितः🔱 🚩
     🌅पंचांग- 25.01.2025🌅
युगाब्द - 5125 
संवत्सर - कालयुक्त 
विक्रम संवत् -2081   
शाक:- 1946 
ऋतु-   शिशिर __ उत्तरायण 
मास -  माघ _ कृष्ण पक्ष
वार - शनिवार 
तिथि_एकादशी    20:31:28 
नक्षत्र    ज्येष्ठा    32:25:09
योग    ध्रुव    28:36:46
करण    बव    08:03:26
करण    बालव    20:31:28
चन्द्र राशि      - वृश्चिक
सूर्य राशि      - मकर
🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩   
  ✍️ षट्तिला एकादशी व्रत
🍁 अग्रिम (आगामी पर्वोत्सव 🍁
🔅 प्रदोष व्रत 
     .   27 जनवरी 2025
          (सोमवार) 
🔅 मौनी अमावस व्रत 
     .   29 जनवरी 2025
          (बुधवार) 
🔅 गुप्त नवरात्र प्रारंभ 
     .   30 जनवरी 2025
          (गुरुवार) 
🔅 बसंत पंचमी 
     .   02 फरवरी 2025
          (रविवार) 
🔅 सूर्य रथ सप्तमी 
     .   04 फरवरी 2025
          (मंगलवार)
🔅 महानवमी, गुप्त नवरात्र पूर्ण 
     .   06 फरवरी 2025
          (गुरूवार) 
🔅 जया एकादशी व्रत 
     .   08 फरवरी 2025
          (शनिवार)
 🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉️
षटतिला एकादशी माहात्म्य - 
षटतिला एकादशी यानी कि साल की दूसरी एकादशी 25 जनवरी है। इस एकादशी पर तिलों का 6 प्रकार से प्रयोग करने की मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने और तिल का धार्मिक कार्यों में प्रयोग करने से व्रती को निर्धनता और कष्ट से मुक्ति मिलती है और बैकुंठ की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं षटतिला एकादशी व्रत का महत्व, पूजाविधि, शुभ मुहूर्त और इस दिन तिल का 6 प्रकार से कैसे किया जाता है प्रयोग-
इस दिन भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की पूजा करने का विधान है। पूजा में काले तिल का प्रयोग करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन की पूजा में काली गाय का भी विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को रखने से व्यक्ति को कन्यादान, हजारों सालों की तपस्या और स्वर्ण दान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
षटतिला एकादशी व्रत की पूजाविधि 
षटतिला एकादशी पर व्रती सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। उसके बाद पूजास्थल को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें। उसके बाद लकड़ी की एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की प्रतिमा को स्थापित कर लें। उसके बाद पंचामृत से स्नान कराएं और फिर विधि-विधान से पूजा करें। पूजा के बाद एकादशी पर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। भगवान को भोग तुलसी, जल, फल, नारियल और फूल चढ़ाएं। उसके बाद द्वादशी पर पारण करें और दान पुण्य करने के बाद अन्न ग्रहण कर सकते हैं।
षटतिला एकादशी पर तिल के प्रयोग -
षटतिला एकादशी पर तिल का 6 तरीके से प्रयोग किया जाता है। पहला तिल मिश्रित जल से स्नान करें। दूसरा तिल के तेल से मालिश, तीसरा तिलों का हवन, चौथा तिलों वाले पानी का सेवन, पांचवां तिलों का दान और छठा तिलों से बने पदार्थों का सेवन। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, षटतिला एकादशी पर इन प्रकार के से तिल का सेवन करने से आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ इस दिन तिल का दान करने से आपकी दरिद्रता दूर होती है और आप धनवान बनते हैं।
जय जय श्री सीताराम👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा)
व्याकरणज्योतिषाचार्य
पुजारी -श्री राधा गोपाल मंदिर
 (जयपुर)