आज 23 दिसंबर 2024 को पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, सोमवार है. भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा और समर्पण भाव दिखाएं. मंत्रों का जाप करें और साथ ही मानसिक व शारीरिक शुद्धि जैसे स्नान, ध्यान और तपस्या करें. पितृ दोष से छुटकारा प्राप्त करने के लिए भी यह उपाय बहुत कारगार हैं. जिन लोगों की कुंडली में चंद्र ग्रह का अशुभ प्रभाव चल रहा होता है, उन्हें सोमवार के दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनने चाहिए और माथे पर चंदन का तिलक लगाकर ही घर से निकलना चाहिए. ऐसा करने से नकारात्मक प्रभाव दे रहा सोम सकारात्मकता में परिवर्तित हो जाएगा. आइए जानते हैं आज का शुभ-अशुभ मुहूर्त (Shubh muhurat 23 December 2024), राहुकाल (Aaj Ka Rahu kaal), शुभ योग, ग्रह परिवर्तन, व्रत-त्योहार, तिथि आज का पंचांग (Panchang in Hindi)
आज का पंचांग, 23 दिसंबर 2024 (Calendar 23 December 2024)
श्री सर्वेश्वर पञ्चाङ्गम् 
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🚩🔱 धर्मो रक्षति रक्षितः🔱 🚩
     🌅पंचांग-23.12.2024🌅
युगाब्द - 5125 
संवत्सर - कालयुक्त 
विक्रम संवत् -2081   
शाक:-1946 
ऋतु- शिशिर __ उत्तरायण 
मास - पौष _कृष्णपक्ष
वार - रविवार 
तिथि    -अष्टमी    17:07:13 
नक्षत्र    उत्तर फाल्गुनी    09:08
योग    सौभाग्य    19:53:08
करण    कौलव    17:07:13
करण    तैतुल    30:29:31
चन्द्र राशि    -   कन्या
सूर्य राशि     -  धनु
आज विशेष   ✍️ किसान दिवस
🍁 अग्रिम (आगामी) पर्वोत्सव 🍁
🔅 सफला एकादशी व्रत 
     .   26 दिसंबर 2024
          (गुरुवार) 
🔅 प्रदोष व्रत 
     .   28 दिसंबर 2024
          (शनिवार) 
🔅 देव पितृ सोमवती अमावस 
     .   30 दिसंबर 2024
          (सोमवार) 
 यतो धर्मस्ततो जयः
💐आज की कहानी💐    💐नेत्रहीन संत💐
एक बार एक राजा अपने सहचरों के साथ शिकार खेलने जंगल में गया था। वहाँ शिकार के चक्कर में एक दूसरे से बिछड़ गये और एक दूसरे को खोजते हुये राजा एक नेत्रहीन संत की कुटिया में पहुँच कर अपने बिछड़े हुये साथियों के बारे में पूछा।
नेत्र हीन संत ने कहा महाराज सबसे पहले आपके सिपाही गये हैं, बाद में आपके मंत्री गये, अब आप स्वयं पधारे हैं। इसी रास्ते से आप आगे जायें तो मुलाकात हो जायगी। संत के बताये हुये रास्ते में राजा ने घोड़ा दौड़ाया और जल्दी ही अपने सहयोगियों से जा मिला और नेत्रहीन संत के कथनानुसार ही एक दूसरे से आगे पीछे पहुंचे थे।
 
यह बात राजा के दिमाग में घर कर गयी कि नेत्रहीन संत को कैसे पता चला कि कौन किस ओहदे वाला जा रहा है। लौटते समय राजा अपने अनुचरों को साथ लेकर संत की कुटिया में पहुंच कर संत से प्रश्न किया कि आप नेत्रविहीन होते हुये कैसे जान गये कि कौन जा रहा है, कौन आ रहा है ?
राजा की बात सुन कर नेत्रहीन संत ने कहा महाराज आदमी की हैसियत का ज्ञान नेत्रों से नहीं उसकी बातचीत से होती है। सबसे पहले जब आपके सिपाही मेरे पास से गुजरे तब उन्होंने मुझसे पूछा कि ऐ अंधे इधर से किसी के जाते हुये की आहट सुनाई दी क्या ? तो मैं समझ गया कि यह संस्कार विहीन व्यक्ति छोटी पदवी वाले सिपाही ही होंगे।
जब आपके मंत्री जी आये तब उन्होंने पूछा बाबा जी इधर से किसी को जाते हुये... तो मैं समझ गया कि यह किसी उच्च ओहदे वाला है, क्योंकि बिना संस्कारित व्यक्ति किसी बड़े पद पर आसीन नहीं होता। इसलिये मैंने आपसे कहा कि सिपाहियों के पीछे मंत्री जी गये हैं।
जब आप स्वयं आये तो आपने कहा सूरदास जी महाराज आपको इधर से निकल कर जाने वालों की आहट तो नहीं मिली तो मैं समझ गया कि आप राजा ही हो सकते हैं। क्योंकि आपकी वाणी में आदर सूचक शब्दों का समावेश था और दूसरे का आदर वही कर सकता है जिसे दूसरों से आदर प्राप्त होता है। क्योंकि जिसे कभी कोई चीज नहीं मिलती तो वह उस वस्तु के गुणों को कैसे जान सकता है!
दूसरी बात यह संसार एक वृक्ष स्वरूप है- जैसे वृक्ष में डालियाँ तो बहुत होती हैं पर जिस डाली में ज्यादा फल लगते हैं वही झुकती है। इसी अनुभव के आधार में मैं नेत्रहीन होते हुये भी सिपाहियों, मंत्री और आपके पद का पता बताया अगर गलती हुई हो महाराज तो क्षमा करें।
राजा संत के अनुभव से प्रसन्न हो कर संत की जीवन वृत्ति का प्रबंन्ध राजकोष से करने का मंत्री जी को आदेशित कर वापस राजमहल आया।
शिक्षा:-
आजकल हमारा मध्यमवर्ग परिवार संस्कार विहीन होता जा रहा है। थोड़ा सा पद, पैसा व प्रतिष्ठा पाते ही दूसरे की उपेक्षा करते हैं, जो उचित नहीं है। मधुर भाषा बोलने में किसी प्रकार का आर्थिक नुकसान नहीं होता है। अतः मीठा बोलने में कंजूसी नहीं करनी चाहिये..!!
आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।
जय जय श्री सीताराम
जय जय श्री ठाकुर जी की
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा)
व्याकरणज्योतिषाचार्य पुजारी -श्री राधा गोपाल मंदिर  (जयपुर)