Aaj Ka Panchang 21 December 2024: आज का पंचांग मुहूर्त हमारे हिन्दू धर्म में किसी भी विशेष कार्यक्रम को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता हैं. आइये जानते हैं आज 21 दिसम्बर के पंचांग के जरिए आज की तिथि का हर एक शुभ मुहूर्त व अशुभ समय…
 श्री सर्वेश्वर पञ्चाङ्गम् 
------------------------------------------------
🚩🔱 धर्मो रक्षति रक्षितः🔱 🚩
     🌅पंचांग-21.12.2024🌅
युगाब्द - 5125 
संवत्सर - कालयुक्त 
विक्रम संवत् -2081   
शाक:-1946 
ऋतु- शिशिर __ उत्तरायण 
मास - पौष _कृष्णपक्ष
वार - शनिवार 
तिथि_    षष्ठी    12:20:40 
नक्षत्र    पूर्व फाल्गुनी    30:13:06
योग    प्रीति     18:21:22
करण    वणिज    12:20:40
करण    विष्टि भद्र    25:21:57
चन्द्र राशि     -  सिंह
सूर्य राशि     -  धनु
🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩   
  ✍️ भद्रा 12/22 से 25/27 तक
🍁 अग्रिम (आगामी) पर्वोत्सव 🍁
🔅 सफला एकादशी व्रत 
     .   26 दिसंबर 2024
          (गुरुवार) 
🔅 प्रदोष व्रत 
     .   28 दिसंबर 2024
          (शनिवार) 
🔅 देव पितृ सोमवती अमावस 
     .   30 दिसंबर 2024
          (सोमवार) 
यतो धर्मस्ततो जयः
खरमास में शादी विवाह और मांगलिक कार्य क्यों वर्जित होते है, क्या है इसके पीछे का सत्य ?? 
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार सूर्य अपने सात घोड़ों के रथ पर बैठ कर पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं। 
इस परिक्रमा के दौरान सूर्य का रथ एक क्षण के लिए भी नहीं रुकता। 
लेकिन निरंतर चलते रहने से तथा सूर्य की गरमी से घोड़े प्यास और थकान से व्याकुल होने लगे।
घोड़ों की यह दयनीय दशा देखकर सूर्य देव उन्हें विश्राम देने के लिए और उनकी प्यास बुझाने के उद्देश्य से रथ रुकवाने का विचार करते हैं।
लेकिन उन्हें अपनी प्रतिज्ञा का स्मरण हो आता है कि वे अपनी इस अनवरत चलने वाली यात्रा में कभी विश्राम नहीं लेंगे।
विचार करते हुए सूर्य देव का रथ आगे बढ़ रहा था। तभी सूर्य को एक तालाब के पास दो खर (गधे) दिखाई दिए। 
उनके मन में विचार आया कि जब तक उनके रथ के घोड़े पानी पीकर विश्राम करते हैं, तब तक इन दोनों खरों को रथ में जोतकर आगे की यात्रा जारी रखी जाए।
ऐसा विचार कर सूर्य ने अपने सारथि अरुण को उन दोनों खरों को घोड़ों के स्थान पर जोतने की आज्ञा दी। 
सूर्य के आदेश पर उनके सारथि ने खरों को रथ में जोत दिया।
खर अपनी मंद गति से सूर्य के रथ को लेकर परिक्रमा पथ पर आगे बढ़ गए।
मंद गति से रथ चलने के कारण सूर्य का तेज भी मंद होने लगा। 
सूर्य के रथ को खरों द्वारा खींचने के कारण ही इसे ‘खर’ मास कहा गया है।
खर मास साल में दो बार आता है। 
जिसमे जाप आम दिन से अस्सी गुना फलदाई होती है ।
एक, जब सूर्य धनु राशि में होता है। 
दूसरा, जब सूर्य मीन राशि में आता है। 
इस दौरान सूर्य का पूरा प्रभाव यानी तेज पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध पर नहीं पड़ता।
सूर्य की इस कमजोर स्थिति के कारण ही पृथ्वी पर इस दौरान गृह-प्रवेश, नया घर बनाने, नया वाहन, मुंडन, विवाह आदि मांगलिक और शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
किसी नए कार्य को शुरू नहीं किया जाता। 
लेकिन इस मास में सूर्य और बृहस्पति की अराधना विशेष फलदायी होती है जोकि आम दिन से अस्सी गुना फलदाई होती है ।
गुरुण पुराण के अनुसार खर मास में प्राण त्यागने पर सद्गति नहीं मिलती। 
इसलिए महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह ने अपने प्राण खर मास में नहीं त्यागे थे। 
उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया था।
ध्यान देने की बात है कि खर मास और मल मास में अंतर है। 
सूर्य के धनु और मीन राशि में आने पर खर मास होता है। 
यह साल में दो बार आता है।
जबकि मल मास तीन साल में एक बार आता है। 
इसे अधिक मास और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। 
असुर हिरण्यकश्यप को वरदान था कि उसकी मृत्यु बारह मासोें में से किसी भी मास मेें नहीं होगी। 
इसलिए भगवान विष्णु ने उसके वध के लिए मल मास की रचना की।
जय जय श्री सीताराम
जय जय श्री ठाकुर जी की
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा)
व्याकरणज्योतिषाचार्य
पुजारी -श्री राधा गोपाल मंदिर  (जयपुर)