14 February 2025 Panchang: आज श्री विष्णुसहस्रनाम व श्री सूक्त का पाठ करें। फलों का दान करें। विष्णु जी की मन से उपासना करें। ऋग्वैदिक श्री सूक्तम की 16 ऋचाओं के पाठ से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। विष्णु जी के 108 नाम का मानसिक जप करें। दान पुण्य करें। वस्त्र व धन का दान बहुत ही पुण्यदायी होता है, इससे कष्ट समाप्त व धन आगमन तथा शुभता का आगमन होता है, पुण्य की प्राप्ति होती है। पार्थिव का शिवलिंग बनाकर रूद्राभिषेक करें। परिवार के सभी सदस्य एकसाथ बैठकर सुंदरकांड का पाठ करें। कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अब जानिए आज का पूरा पंचांग।
🌕🌞  श्री सर्वेश्वर पञ्चाङ्गम् 🌞 🌕
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🚩🔱 धर्मो रक्षति रक्षितः🔱 🚩
     🌅पंचांग- 14.02.2025🌅
युगाब्द - 5125 
संवत्सर - कालयुक्त 
विक्रम संवत् -2081   
शाक:- 1946 
ऋतु-   शिशिर 
सूर्य __ उत्तरायण
मास -  फाल्गुन 
पक्ष _ कृष्णपक्ष 
वार -   शुक्रवार 
तिथि - द्वितीया    21:51:3 
नक्षत्र    पूर्व फाल्गुनी    23:08:19
योग    अतिगंड    07:18:53
करण    तैतुल    09:02:29
करण    गर    21:51:43
चन्द्र राशि     - सिंह    till 29:43
चन्द्र राशि     - कन्या    from 29:43
सूर्य राशि -  कुम्भ
🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩   
  ✍️ आज के दिन कन्या पूजन से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
🍁 अग्रिम (आगामी पर्वोत्सव 🍁
👉 चतुर्थी व्रत 
       16 फर. 2025 (रविवार)
👉 विजया एकादशी व्रत 
       24 फर. 2025 (सोमवार)
👉 प्रदोष व्रत/ व्यतिपात पुण्यं 
       25 फर. 2025 (मंगलवार)
👉 महाशिवरात्रि व्रत 
       26 फर. 2025 (बुधवार)
👉 देवपितृ कार्य अमावस 
       27 फर. 2025 (गुरुवार)
 🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉️
💐आज की कहानी💐
💐नंदा नाई💐
एक नाई जिसका नाम नंदा था वह एक कृष्ण भक्त था। सुबह उठकर कृष्ण की सेवा करता, उन्हें भोग लगाता, कीर्तन करता फिर अपने काम पर निकलता था। 
सबसे पहले राजा की हजामत करता था क्योंकि राजा को दरबार जाना होता था। राजा की हजामत के बाद नगर के लिए निकलता था। 
एक दिन कृष्ण सेवा के बाद कीर्तन करते-करते कृष्ण के ध्यान में खो गया। पत्नी ने देर होते देख और राजा के क्रोध की बात सोचकर नंदा को झंझोड़ते हुये कहा - अजी सुनते हो! राजा के दरबार जाने का समय हो गया है। राजा की हजामत करनी है, राजा क्रोधित हो जायेंगे।
नंदा ने जल्दी अपना सामान लिया और महल की ओर चल दिया। महल पहुंचा तो देखा कि वहां से राजा दरबार के लिए निकल रहे थे। 
राजा ने नंदा को देखकर कहा - अभी तो हजामत करके गये हो! क्या तुम्हे कोई परेशानी है या किसी चीज आवश्यकता है?
नंदा ने कहा - जी नहीं! मुझे लगा मैं शायद कुछ भूल रहा था। 
नंदा मन में सोचने लगा; मैं तो अभी आ रहा हूं, मैं तो कीर्तन में मुग्ध था तो राजा की हजामत किसने की? 
नंदा को मन मे विचार आया, मेरी लाज रखने और राजा के क्रोध से बचाने मेरे कृष्ण ही मेरे रूप में आये होंगे।
ईश्वर कहते हैं -
डर मत! मैं तेरे साथ हूं और कही नहीं तेरे आस-पास हूं।
आँखे बंद करके मुझे याद कर और कोई नही मैं तेरा विश्वास हूँ।।
जय जय श्री सीताराम👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा) व्याकरणज्योतिषाचार्य
पुजारी -श्री राधा गोपाल मंदिर,  (जयपुर)