पाकिस्तान के चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) पद संभालने के बाद असीम मुनीर ने अपने पहले सार्वजनिक संबोधन में ही आक्रामक रुख दिखा दिया है। रावलपिंडी स्थित GHQ में आयोजित स्वागत समारोह में उन्होंने भारत और अफगानिस्तान दोनों को खुली चेतावनी दे दी। मुनीर ने कहा कि “भारत किसी भ्रम में न रहे, हर कार्रवाई का जवाब पहले से कहीं ज्यादा कड़ा होगा।” साथ ही उन्होंने अफगानिस्तान को यह संदेश भी दे दिया कि उसे अब "पाकिस्तान या TTP में से किसी एक को चुनना होगा" वरना परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।
CDF पोस्ट का गठन और असीम मुनीर की नियुक्ति
हाल ही में पाकिस्तान आर्मी, एयरफोर्स और नेवी बिल 2025 को राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी द्वारा मंजूरी दी गई। इस बिल के तहत चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) के नए पद की स्थापना की गई, जिसका मकसद तीनों सेनाओं—थल, जल और वायु—का सैन्य समन्वय एक ही नेतृत्व के अधीन लाना है। इस पद के लिए असीम मुनीर का चयन किया गया, जो अभी भी आर्मी चीफ के पद पर कार्यरत रहेंगे।
इसके साथ ही वे पाकिस्तान के इतिहास के दूसरे फील्ड मार्शल भी बन चुके हैं। उन्हें यह सम्मान ऑपरेशन सिंदूर के बाद दिया गया, जिसे पाकिस्तान में कई रणनीतिक हलकों में आज भी विवादास्पद माना जा रहा है। उनके स्वागत के लिए आयोजित समारोह में एयर चीफ मार्शल ज़हीर अहमद बाबर सिद्धू और नौसेना प्रमुख एडमिरल नवीन अशरफ़ भी मौजूद रहे।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की तिलमिलाहट
अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत सरकार ने इस हमले के पीछे सीधे तौर पर पाकिस्तान की भूमिका बताई थी। इसके बाद भारत ने कार्रवाई करते हुए ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। इसके तहत भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। इसके साथ ही भारत ने वैश्विक मंचों पर प्रतिनिधिमंडल भेजकर पाकिस्तान की आतंकवाद पोषण नीति को दुनिया के सामने उजागर किया।
इसी ऑपरेशन से झल्लाए पाकिस्तान ने अब असीम मुनीर को आगे कर कड़े शब्दों में प्रतिक्रिया देने की कोशिश की है। मुनीर का यह बयान पाकिस्तान के भीतर सैन्य प्रतिष्ठान की उस बेचैनी को भी दिखाता है, जिसमें भारत की जवाबी कार्रवाई और वैश्विक दबाव के कारण उनकी रणनीति लगातार कमजोर होती जा रही है।
अफगानिस्तान से संबंध भी तनावपूर्ण
असीम मुनीर का यह कहना कि “अफगानिस्तान अब पाकिस्तान या TTP में से किसी एक को चुने” यह साफ संकेत है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान की जमीन पर सक्रिय आतंकवादी नेटवर्कों के लिए अब खुला दबाव बनाने की रणनीति पर चल रहा है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार और TTP के बीच बढ़ते तालमेल को पाकिस्तान अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है, जबकि अफगान नेतृत्व TTP को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी लेने से बचता रहा है। यही कारण है कि पाकिस्तान अब खुलकर दो टूक कह रहा है कि अफगानिस्तान अगर TTP के खिलाफ सख्त नहीं होगा तो सीमा तनाव और सैन्य जवाबी कार्रवाई की आशंका बढ़ सकती है।
आक्रामक बयानबाज़ी या रणनीतिक दबाव?
असीम मुनीर के बयान को लेकर विशेषज्ञों में दो तरह की राय है। एक वर्ग इसे महज़ राजनीतिक-फौजी दबाव बनाने की रणनीति कह रहा है, क्योंकि पाकिस्तान इस समय आर्थिक संकट, अंतरराष्ट्रीय अलगाव और आंतरिक अस्थिरता से जूझ रहा है। वहीं दूसरी राय है कि पाकिस्तान की सेना इस वक्त क्षेत्रीय समीकरण बदलने की कोशिश में है, ताकि भारत पर दबाव बनाया जा सके और अफगानिस्तान को कठोर संदेश दिया जा सके। हालांकि हाल की घटनाओं से एक बात स्पष्ट है—पाकिस्तान की सैन्य नेतृत्व की भाषा पहले से कहीं अधिक आक्रामक हो चुकी है और पड़ोसी देशों के साथ संभावित तनाव बढ़ने की संभावना को हल्के में नहीं लिया जा सकता।