मुंबई, 04 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की नृशंस हत्या को तीन साल पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन इस मामले में अब तक दोषियों को सजा नहीं मिल पाई है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसको लेकर केंद्र सरकार और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इतनी स्पष्ट घटना होने के बावजूद केस की सुनवाई बेहद धीमी है और पीड़ित परिवार को अभी भी न्याय नहीं मिल पाया है। गहलोत ने सोशल मीडिया पर लिखा कि भाजपा ने इस दर्दनाक घटना को राजनीतिक मुद्दा बना दिया और राजस्थान विधानसभा चुनावों में इसे जमकर भुनाया। उन्होंने कहा कि घटना के दिन ही यह केस एनआईए को सौंप दिया गया था, जो केंद्र सरकार के अधीन काम करती है, लेकिन अब तक अपराधियों को सजा नहीं दिलाई जा सकी। उन्होंने कहा कि इस केस में तीन मुख्य गवाहों के बयान तक दर्ज नहीं हुए हैं और छह महीनों से कोर्ट में कोई सुनवाई की तारीख भी नहीं पड़ी है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि जयपुर स्थित एनआईए कोर्ट में यह मामला विचाराधीन है, लेकिन इस कोर्ट का एडिशनल चार्ज जिन जज के पास था, उनका तबादला हो गया है, जिससे केस की सुनवाई प्रभावित हुई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आरोपियों में से दो को अब तक जमानत मिल चुकी है। गहलोत ने यह भी कहा कि राजस्थान पुलिस ने हत्या के महज चार घंटे के भीतर ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था और राज्य सरकार ने कन्हैयालाल के परिवार को 50 लाख रुपए का मुआवजा और उनके दोनों बेटों को सरकारी नौकरी भी दी थी। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने मुआवजा राशि को लेकर झूठ फैलाया और केवल राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल किया। गहलोत ने साफ कहा कि यदि यह केस एनआईए को नहीं दिया गया होता और राज्य पुलिस के पास ही रहता, तो उनके कार्यकाल में ही दोषियों को सजा दिलाई जा चुकी होती। उन्होंने भाजपा पर केवल राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि उनका उद्देश्य पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना नहीं बल्कि मुद्दे का राजनीतिक इस्तेमाल करना है।
गौरतलब है कि 28 जून 2022 को मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद ने दर्जी कन्हैयालाल की उनकी दुकान में गला काटकर हत्या कर दी थी। एनआईए ने इस मामले में कुल 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी और पाकिस्तान के दो नागरिकों को फरार बताया था। 9 फरवरी 2023 को एनआईए की विशेष अदालत ने हत्या, आतंकी गतिविधियों, आपराधिक षड्यंत्र, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और आर्म्स एक्ट के तहत आरोप तय किए थे।