मुंबई, 24 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। नई दिल्ली के अटल अक्षय ऊर्जा भवन में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने देश की नई सहकारिता नीति को पेश किया। उन्होंने कहा कि यह नीति विकसित भारत की दिशा में एक मजबूत कदम है और यह नीति देश की जरूरतों व विकास को ध्यान में रखकर बनाई गई है। उन्होंने कहा कि मिलकर काम करने की भावना को वही सरकार सही मायनों में समझ सकती है जो देश की मिट्टी से जुड़ी हो। अमित शाह ने कहा कि गांव, किसान और आम नागरिक खुशहाल और रोजगार से जुड़े रहेंगे, तो देश की अर्थव्यवस्था भी सशक्त बनी रहेगी। इस नीति का उद्देश्य सहकारी संस्थाओं को मजबूत करना, गांवों को आत्मनिर्भर बनाना और नए रोजगार के अवसर पैदा करना है। इस नीति के तहत हर पंचायत में सहकारी समितियों की स्थापना की जाएगी। सरकार का लक्ष्य है कि फरवरी 2026 तक दो लाख प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसाइटीज यानी PACS स्थापित कर दी जाएं। उन्होंने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे 31 जनवरी 2026 तक अपनी-अपनी राज्य स्तरीय सहकारिता नीति तैयार कर लें। यह नीति अगले बीस वर्षों यानी 2045 तक प्रभावी रहेगी।
अमित शाह ने कहा कि इस नीति का मुख्य उद्देश्य लोगों, गांवों, महिलाओं, किसानों, दलितों और आदिवासियों को केंद्र में रखकर एक ऐसा सहकारी ढांचा खड़ा करना है, जो पारदर्शी, तकनीकी रूप से सक्षम, जिम्मेदार और आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो। उन्होंने इसे ‘सहयोग की समृद्धि के जरिए 2047 तक विकसित भारत’ के विजन से जोड़ते हुए कहा कि इस दिशा में सरकार हर गांव में कम से कम एक सहकारी संस्था स्थापित करना चाहती है। शाह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच के तहत ही सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई, जिससे समाज के हर वर्ग को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि जब तक हर नागरिक विकास में भागीदार नहीं बनेगा, तब तक कोई भी विकास मॉडल पूरी तरह सफल नहीं हो सकता। इस नीति को तैयार करने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में 48 सदस्यों की एक समिति गठित की गई थी। इस समिति में देशभर की सहकारी संस्थाओं, केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों और विशेषज्ञों को शामिल किया गया। कमेटी ने अहमदाबाद, बेंगलुरु, गुरुग्राम और पटना जैसे शहरों में 17 बैठकें और 4 वर्कशॉप आयोजित कीं और कुल 648 सुझावों को अध्ययन के बाद इस नीति में शामिल किया गया।
सरकार की मंशा है कि गांवों, किसानों और छोटे व्यापारियों को संगठित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए, जिससे वे देश के विकास में सीधा योगदान दे सकें। नई सहकारिता नीति के लागू होने से किसानों की स्थिति में पांच बड़े बदलाव आएंगे। अब किसान मंडियों और बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहेंगे क्योंकि सहकारी समितियां उनकी उपज सीधे खरीदेंगी। गांवों में खाद-बीज, डेयरी कलेक्शन और अनाज भंडारण की जिम्मेदारी स्थानीय समितियों की होगी। महिलाओं और युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा जिससे उन्हें सामाजिक और आर्थिक मजबूती मिलेगी। सभी समितियों को डिजिटल किया जाएगा जिससे उनका कामकाज पारदर्शी और तेजी से हो सकेगा। साथ ही गांव के युवाओं को सहकारी प्रबंधन की ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे इन समितियों का संचालन बेहतर ढंग से कर सकें।