मुंबई, 12 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। गुजरात लोकसभा चुनावों की वोटिंग से पहले और नामांकन रद्द होने के बाद नीलेश कुंभाणी अब सामने आए हैं। कुंभाणी ने कहा 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले मुझे सूरत से ही पर्चा भरने को कहा गया था। मैं अपने हजारों समर्थकों के साथ कलेक्टर कार्यालय पहुंचा। तभी कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष ने फोन कर मुझे वहां से वापस लौटने का आदेश दिया। कांग्रेस ने उस दिन मेरे साथ गद्दारी की थी, जिसका बदला मैंने इस चुनाव में ले लिया। मैं नामांकन रद्द होने के बाद हाईकोर्ट में याचिका डालने के लिए गया था, कि तभी कांग्रेस के नेताओं ने मेरे घर पर विरोध शुरू कर दिया, इसलिए मैं गायब हो गया। मेरा बीजेपी से कोई संबंध नहीं है। यह भी झूठा आरोप है कि नामांकन रद्द होने के दिन मैं बीजेपी की कार से कलेक्टर ऑफिस गया था। मैं वहां अपनी ही कार से गया था।
कुंभाणी ने आगे कहा कि जब से कांग्रेस ने मुझे टिकट दिया, तभी से कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने मेरा समर्थन नहीं किया। डोर टू डोर कैंपेन में भी कोई मेरे साथ नहीं होता था। मेरा फॉर्म कांग्रेस एडवोकेट ने ही भरा था। लेकिन, अब मैं किसी को दोष नहीं देना चाहता। नीलेश ने कांग्रेस में पैसे देकर टिकट पाने की बात भी कही है। सूरत में नामांकन रद्द होने के बाद कांग्रेस से छह साल के लिए निष्कासित नीलेश ने कहा कि चुनाव के दौरान मैंने कांग्रेस अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल एवं पूर्व नेता विपक्ष परेश धनाणी के लिहाज के चलते कुछ नहीं बोला। यदि मैं बोलता तो कांग्रेस को नुकसान होता। कुंभाणी ने कहा कि मैंने कोरोना काल में कांग्रेस के नाम पर सेवा की थी। केवल पांच लोग हैं, जिन्होंने मेरा विरोध किया। ये नेता मेरी किसी बैठक में नहीं आए। इसके बाद मैं कांग्रेस को धोखा देने को मजबूर हुआ। कुंभाणी ने कहा कि वह बीजेपी के संपर्क में नहीं थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में रहना है या नहीं। राजनीति करनी है या नहीं। इसके बारे में बाद में फैसला लूंगा।
गौरतलब है कि सूरत से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले कुंभाणी का नामांकन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर फर्जी पाए जाने के बाद रद्द हो गया था। वहीं इस सीट से चुनाव लड़ रहे अन्य प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस ले लिया था। इसके चलते भाजपा के कैंडिडेट मुकेश दलाल को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया था।