केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा किरू जलविद्युत परियोजना में हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच में नया मोड़ आ गया है। अब इस मामले में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि उनके खिलाफ CBI ने औपचारिक रूप से चार्जशीट दाखिल कर दी है। इसके साथ ही इस केस में पांच अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया है।
भ्रष्टाचार की जड़ में 2200 करोड़ का ठेका
CBI की जांच 2200 करोड़ रुपये की लागत वाली किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट में ठेके की प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं को लेकर हो रही है। जांच की शुरुआत अप्रैल 2022 में हुई थी, जब सत्यपाल मलिक ने स्वयं यह आरोप लगाया था कि उन्हें दो सरकारी परियोजनाओं की फाइलों को मंजूरी देने के बदले 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। इनमें से एक परियोजना किरू से जुड़ी हुई थी।
मलिक ने खुद उठाया था मामला
सत्यपाल मलिक ने अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। इसी दौरान उन्होंने किरू परियोजना में भ्रष्टाचार की आशंका को लेकर सार्वजनिक रूप से बयान दिए थे। बाद में जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस मामले की CBI जांच की सिफारिश की थी। इसके बाद दिल्ली और जम्मू में 8 जगहों पर छापेमारी भी की गई थी।
चार्जशीट में और कौन-कौन
CBI द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट में सिर्फ सत्यपाल मलिक ही नहीं, बल्कि Chenab Valley Power Projects Private Limited (CVPPPL) के पूर्व चेयरमैन नवीन कुमार चौधरी, पूर्व अधिकारी एमएस बाबू, एमके मित्तल, अरुण कुमार मिश्रा और ठेका पाने वाली कंपनी पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड का नाम भी शामिल है। CBI का मानना है कि ठेका प्रक्रिया को जानबूझकर बदला गया, जिससे एक विशेष कंपनी को अनुचित लाभ मिला।
बिगड़ी तबीयत, अस्पताल में भर्ती
चार्जशीट की खबर सामने आने के साथ ही एक और बड़ी जानकारी सामने आई – पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की तबीयत बिगड़ गई है। उनके आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से जानकारी दी गई कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है और वे फिलहाल किसी से बात करने की स्थिति में नहीं हैं। पोस्ट के साथ अस्पताल में बेड पर लेटे मलिक की तस्वीर भी साझा की गई है, जिससे उनके समर्थकों के बीच चिंता का माहौल बन गया है।
राजनीतिक और कानूनी असर
यह मामला अब सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक रंग भी ले चुका है। सत्यपाल मलिक पहले भी कई बार केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठा चुके हैं, और अब उनके खिलाफ चार्जशीट दायर होने से राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। आने वाले दिनों में यह केस और भी बड़े खुलासों और कानूनी उलझनों की ओर बढ़ सकता है।
निष्कर्ष:
CBI की यह कार्रवाई देश के भीतर बड़े स्तर पर चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने की दिशा में अहम मानी जा रही है। हालांकि, पूर्व राज्यपाल जैसे उच्च पद पर बैठे व्यक्ति का नाम इस तरह के घोटाले में आना न सिर्फ चिंता का विषय है, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है।