बॉलीवुड के प्रसिद्ध निर्माता रितेश सिधवानी ने हाल ही में यह कहा कि फिल्म बनाने में लेखकों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। एक इंटरव्यू मेंसिधवानी ने यह स्वीकार किया कि बिना लेखकों के, न तो कोई किरदार होता है, न कहानी, और न ही कोई फिल्म बनाने का काम। उनके इस बयानसे यह साफ हो जाता है कि फिल्म इंडस्ट्री में लेखकों की मेहनत और योगदान अक्सर नजरअंदाज किया जाता है।
सिधवानी ने कहा, "जब तक लेखक अपना काम नहीं करता, तब तक हम में से किसी के पास काम नहीं होता। जब तक वो कुछ लिखे नहीं, कोईकिरदार नहीं बनता, कोई फिल्म बनाने का काम नहीं होता, न डायरेक्टर के लिए कुछ होता है, न एक्टर के लिए।" उनका यह बयान इस बात को स्पष्टकरता है कि फिल्म का अस्तित्व पूरी तरह से लेखक की कहानी, किरदारों और दुनिया को रचने की क्षमता पर निर्भर करता है, जिसके बाद बाकी टीमउसे जीवन्त बनाती है।
उन्होंने यह भी कहा कि शायद इंडस्ट्री में यह बात थोड़ा देर से समझी जा रही है, लेकिन यह एक सच्चाई है कि "लेखक ही असल में 'बाप' है, क्योंकिउनके बिना यहां कोई भी काम नहीं कर सकता।" यह बयान फिल्म इंडस्ट्री के एक बड़े निर्माता के द्वारा यह दिखाता है कि लेखक कितने महत्वपूर्ण हैं।वे फिल्म की शुरुआत के लिए प्रेरणा देते हैं, और उनकी सोच ही सभी के काम की दिशा तय करती है।
आजकल जब फिल्म इंडस्ट्री में विभिन्न पेशेवरों के काम पर चर्चा हो रही है, सिधवानी का यह बयान लेखकों की महत्वता को उजागर करता है।लेखकों का काम अक्सर अनदेखा रहता है, लेकिन वे ही हर फिल्म की नींव रखते हैं, जो बाद में निर्देशक, निर्माता और अभिनेता मिलकर पूरा करते हैं।अब समय आ गया है कि इंडस्ट्री उनके योगदान को सही सम्मान दे।
सिधवानी के शब्द यह बतलाते हैं कि फिल्म निर्माण का हर पहलू – चाहे वह निर्देशन हो, निर्माण हो, अभिनय हो या संपादन – लेखकों की कड़ीमेहनत पर निर्भर करता है, जो एक दिलचस्प और मूल कहानी को दर्शकों तक पहुंचाते हैं। यह समय है कि हम लेखकों के योगदान का सम्मान करें, क्योंकि वे ही हमारी फिल्मों को एक नई दिशा देते हैं।
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