भारतीय सिनेमा के दिग्गज फिल्मकार सुनील दर्शन ने हाल ही में अभिनेता और दर्शकों के बीच बढ़ते अंतर पर अपनी चिंताएं व्यक्त कीं। इंतकाम, लूटेरे, अजय और बरसात जैसी फिल्मों के लिए प्रसिद्ध, दर्शन का मानना है कि यह अंतर अभिनेता की बदलती शैली या फिल्मी रूपों की वजह से नहीं, बल्कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की पहचान में आए बदलाव के कारण है। वह मानते हैं कि इस अंतर की जड़ "बॉलीवुड" शब्द में छुपी हुई है।
इस पर बात करते हुए, दर्शन ने कहा, "अंतर आपके कपड़ों से नहीं, आपके विचारों से आता है। मुझे लगता है कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के साथ एक क्रूर त्रासदी हुई, और वह यह है कि हमारे हिंदी सिनेमा को बॉलीवुड के नाम से पहचाना जाने लगा।" उनके अनुसार, 90 के दशक के अंत में बॉलीवुड शब्द का उदय हुआ, और इसने भारतीय फिल्मों को हॉलीवुड का सस्ता संस्करण बना दिया, जिससे हमारी फिल्मों का असली सार और सांस्कृतिक संबंध खो गया।
अतीत में अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, धर्मेंद्र और विनोद खन्ना जैसे अभिनेता दर्शकों से गहरे जुड़ाव रखते थे। वे सिर्फ अपनी अभिनय क्षमता के लिए नहीं, बल्कि अपनी शैली, व्यवहार और समग्र प्रभाव के लिए भी प्रशंसा प्राप्त करते थे। ये अभिनेता समय की सटीकता के प्रतीक थे, और उनका दर्शकों से संबंध बहुत गहरा था। लेकिन जैसे-जैसे फिल्म उद्योग ने पश्चिमी मानकों की ओर रुख किया, यह जुड़ाव धीरे-धीरे खत्म हो गया।
सुनील दर्शन की टिप्पणी इस मुद्दे को उजागर करती है, जो कई उद्योग विशेषज्ञों के बीच चिंता का विषय बन चुकी है। बॉलीवुड की बढ़ती हॉलीवुड नकल ने एक ऐसी स्टार पर्सनैलिटी का निर्माण किया, जो भारतीय दर्शकों से अब जुड़ी हुई नहीं लगती। इसके कारण दर्शक अपने पसंदीदा सितारों से अलग महसूस करने लगे हैं। दर्शन का मानना है कि बॉलीवुड का अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल करना जरूरी था, लेकिन इसने भारतीय सिनेमा के असली भावनात्मक और सांस्कृतिक पक्ष को पीछे छोड़ दिया है।
अब, सुनील दर्शन अंदाज़ 2 के साथ वापसी करने जा रहे हैं, जो एक रोमांटिक फिल्म है। इस फिल्म में आयुष कुमार, आकाषा वात्स और नताशा फर्नांडीस मुख्य भूमिका में होंगे।
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