रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody’s) ने हाल ही में भारत की आर्थिक स्थिति को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि भारत अमेरिकी टैरिफ (Trump Tariffs) और वैश्विक व्यापार में उत्पन्न हो रहे व्यवधानों के नकारात्मक प्रभावों से निपटने में पूरी तरह सक्षम है। मूडीज के अनुसार, इसका मुख्य कारण भारत की घरेलू उत्पादन क्षमता में वृद्धि और निर्यात पर कम निर्भरता है। यही दो कारक देश की अर्थव्यवस्था को सहारा देने का कार्य करेंगे।
मूडीज का कहना है कि भारत वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का सामना बेहतर ढंग से कर सकता है क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था बड़ी है और उसमें घरेलू खपत की बड़ी भूमिका है। देश की अर्थव्यवस्था में आयात-निर्यात की तुलना में घरेलू बाजार ज्यादा मजबूत है, जिससे वह बाहरी झटकों को ज्यादा बेहतर तरीके से झेल सकता है।
निजी खपत और सरकारी खर्च से मिलेगा संबल
मूडीज ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि भारत में निजी खपत को बढ़ावा देने, विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) सेक्टर की क्षमता को विस्तारित करने और सरकारी खर्च को बढ़ाने की दिशा में जो प्रयास किए जा रहे हैं, वे आने वाले समय में कमजोर होती वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच भारत को मजबूती प्रदान करेंगे। सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलें और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बढ़ता खर्च अर्थव्यवस्था को गति देगा।
ब्याज दरों में कटौती से आर्थिक समर्थन संभव
मूडीज का यह भी मानना है कि भारत में महंगाई दर में आ रही कमी के कारण भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आगामी महीनों में नीतिगत ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। इससे लोन की सुविधा बढ़ेगी और बैंकिंग सेक्टर में कर्ज देने की प्रक्रिया सरल होगी। इससे न केवल निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि खपत भी बढ़ेगी, जो आर्थिक विकास को मजबूती देने वाला कदम होगा।
भारत की विकास दर में मामूली गिरावट
हालांकि मूडीज ने भारत की विकास दर के अनुमान को 2025 के लिए 6.5 प्रतिशत से घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है। इसका कारण भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव और वैश्विक आर्थिक माहौल को बताया गया है। मूडीज का कहना है कि इस तनाव के कारण निवेशकों और कारोबारियों की लागत बढ़ने की संभावना है, जिससे अल्पकालिक आर्थिक दबाव उत्पन्न हो सकता है।