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Business Idea: मेंथा की डिमांड में उछाल, सिर्फ 3 महीने में लागत से तीन गुना होगा मुनाफा

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Posted On:Friday, March 22, 2024

अगर आप नौकरी के साथ-साथ बिजनेस की तलाश में हैं तो हम आपको एक बेहतरीन बिजनेस आइडिया दे रहे हैं। ये एक ऐसा बिजनेस है. जिसमें आप सिर्फ 3 महीने में करोड़पति बन जाएंगे। हम बात कर रहे हैं मेंथा की खेती की. इसकी गिनती हर्बल उत्पादों में होती है। कोरोना महामारी के बाद दुनिया भर में हर्बल उत्पादों और आयुर्वेदिक दवाओं की मांग बढ़ गई है। यही कारण है कि किसान अब अनाज और सब्जियों की फसलों के साथ-साथ हर्बल फसलों की खेती पर जोर दे रहे हैं। हर्बल यानी औषधीय फसलों की खेती से खर्च से 3 गुना ज्यादा आमदनी होती है.

इसके अलावा मिट्टी का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है. मेंथा की खेती ऐसी ही अधिक कमाई वाली औषधीय फसलों में से एक है. दरअसल, यह भारत के कई हिस्सों में उगाया जाता है. इसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब जैसे कई अन्य राज्य शामिल हैं। इसकी सर्वाधिक उपज उत्तर प्रदेश के बदायूँ, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, बाराबंकी, फैजाबाद, अम्बेडकर नगर तथा लखनऊ के खेतों से हो रही है।

मेंथा क्या है?

मेंथा को देश में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इसे पेपरमिंट, पेपरमिंट, कैम्फोर्मिंट और सुंडी तबरा के नाम से भी जाना जाता है। इसका उपयोग दवाएँ, तेल, सौंदर्य उत्पाद, टूथपेस्ट और कैंडी बनाने में किया जाता है। आपको बता दें कि भारत मेंथा ऑयल का प्रमुख उत्पादक देश है. यहां से मेंथा ऑयल निकालकर दूसरे देशों में भी निर्यात किया जाता है. मेंथा की खेती के लिए अच्छी सिंचाई की जरूरत होती है. सही समय पर बोई गई मेंथा की फसल तीन माह में तैयार हो जाती है। मेथी की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। मेंथा की पत्तियां पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं.

मेंथा की खेती

मेंथा की खेती फरवरी से मध्य अप्रैल तक की जाती है और जून में कटाई की जाती है। इसकी पत्तियों से निकाला जाता है. मेंथा की फसल को हल्की नमी की आवश्यकता होती है। जिससे हर 8 दिन में सिंचाई करनी पड़ती है. जून में मौसम साफ होते ही इसकी कटाई कर लेनी चाहिए. मेंथा से प्रति हेक्टेयर लगभग 125-150 किलोग्राम तेल प्राप्त किया जा सकता है.

मेंथा से कमाई

मेंथा की खेती एक नकदी फसल है. मेथी की खेती में लागत बहुत कम आती है. इसकी फसल 90 से 110 दिन में तैयार हो जाती है. इससे खेती पर खर्च किया गया पैसा जल्द ही किसानों को भारी मुनाफे के रूप में वापस मिल जाता है। प्रति एकड़ मेंथा फसल की बुआई की लागत रु. 20,000 से रु. 25,000 होता है. बाजार में मेंथा की कीमत करीब 1000 से 1500 रुपये प्रति किलो है. इस वजह से कटाई के बाद मेंथा यानी पुदीना की फसल से 1 लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती है. आप 3 महीने में 3 गुना कमा सकते हैं. इसलिए किसान इस फसल को हरा सोना भी कहते हैं.


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